Best 15+ Small Short Stories with Moral Values in Hindi | नैतिक हिंदी कहानियाँ

नमस्कार दोस्तों आज हम Small Short Stories with Moral Values in Hindi के बारे में जानेंगे। यह कहानियाँ बहुत ही छोटी है और आपको अच्छी मोरल वैल्यूज प्रदान करेगी। इससे छोटे बच्चों को बहुत ही अच्छी शिक्षा प्राप्त होगी। इन कहानियों को आप दूसरों के साथ शेयर जरूर कीजियेगा।

Table of Contents

1. राजा और बंदर की कहानी (Very Short Story in Hindi)

Very short story in hindi

बहुत समय पहले की बात है। एक राज्य में एक राजा का राज था। एक दिन उसके दरबार में एक मदारी एक बंदर लेकर आया। उसने राजा और सभी दरबारियों को बंदर का करतब दिखाकर प्रसन्न कर दिया। बंदर मदारी का हर हुक्म मनाता था। जैसा मदारी बोलता, बंदर वैसा ही करता था। 

वह आज्ञाकारी बंदर राजा को भा गया। उसने अच्छी कीमत देकर मदारी से वह बंदर ख़रीद लिया। कुछ दिन राजा के साथ रहने के बाद बंदर उससे अच्छी तरह हिल-मिल गया। वह राजा की हर बात मानता। वह राजा के कक्ष में ही रहता और उसकी सेवा करता था। राजा भी बंदर की स्वामिभक्ति देख बड़ा ख़ुश था। 

वह अपनी सैनिकों और संतरियों से भी अधिक बंदर पर विश्वास करने लगा और उसे महत्व देने लगा। सैनिकों को यह बात बुरी लगती थी, लेकिन वे राजा के समक्ष कुछ कह नहीं पाते थे। एक दोपहर की बात है। राजा अपने शयनकक्ष में आराम कर रहा था। बंदर पास ही खड़ा पंखा झल रहा था। 

कुछ देर में राजा गहरी नींद में सो गया। बंदर वहीं खड़े-खड़े पंखा झलता रहा। तभी कहीं से एक मक्खी आई और राजा की छाती पर बैठ गई। बंदर की दृष्टि जब मक्खी पर पड़ी, तो उसने पंखा हिलाकर उसे हटाने का प्रयास किया। मक्खी उड़ गई। लेकिन कुछ देर बाद वह वापस आकर राजा की छाती पर बैठ गई। 

दुबारा मक्खी को आया देख बंदर अत्यंत क्रोधित हो गया। उसने आव देखा न ताव और पास ही पड़ी राजा की तलवार उठाकर पूरी शक्ति से मक्खी पर प्रहार कर दिया। मक्खी तो उड़ गई। लेकिन तलवार के जोरदार प्रहार से राजा की छाती दो टुकड़े हो गई और राजा के प्राण-पखेरू उड़ गए। 

Moral – मूर्ख मित्र से अधिक बुद्धिमान शत्रु को तरजीह दी जानी चाहिए। 

2. हाथी और रस्सी की कहानी (Hindi Short Stories)

Hindi short stories

एक दिन एक व्यक्ति सर्कस देखने गया। वहाँ जब वह हाथियों के बाड़े के पास से गुजरा, तो एक ऐसा दृश्य देखा कि वह हैरान रह गया। उसने देखा कि कुछ विशालकाय हाथियों को मात्र उनके सामने के पैर में रस्सी बांधकर रखा गया है। उसने सोच रखा था कि हाथियों को अवश्य बड़े पिंजरों में बंद कर रखा जाता होगा या फिर जंजीरों से बांधकर। लेकिन वहाँ का दृश्य तो बिल्कुल उलट था। 

उसने महावत से पूछा, “भाई! आप लोगों ने इन हाथियों को बस रस्सी के सहारे बांधकर रखा है, वो भी उनके सामने के पैर को। ये तो इस रस्सी को तो बड़े ही आराम से तोड़ सकते है। मैं हैरान हूँ कि ये इसे तोड़ क्यों नहीं रहे?” महावत ने उसे बताया, “ये हाथी जब छोटे थे, तब से ही हम उसे इतनी ही मोटी रस्सी से बांधते आ रहे हैं। 

उस समय इन्होंने रस्सी तोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन ये छोटे थे। इसलिए रस्सी को तोड़ पाना इनके सामर्थ्य के बाहर था। वे रस्सी तोड़ नहीं पाए और ये मान लिया कि रस्सी इतनी मजबूत है कि वे उसे नहीं तोड़ सकते। आज भी इनकी वही सोच बरक़रार है। इन्हें आज भी लगता है कि ये रस्सी नहीं तोड़ पाएंगे। इसलिए ये प्रयास भी नहीं करते।” यह सुनकर वह व्यक्ति अवाक् रह गया। 

Moral – “दोस्तों, उन हाथियों की तरह हम भी अपने जीवन में नकारात्मक सोच रुपी रस्सी से बंध जाते हैं। जीवन में किसी काम में प्राप्त हुई असफ़लता को हम मष्तिष्क में बिठा लेते हैं और यकीन करने लगते हैं कि एक बार किसी काम में असफ़ल होने के बाद उसमें कभी सफ़लता प्राप्त नहीं होगी। इस नकारात्मक सोच के कारण हम कभी प्रयास ही नहीं करते। आवश्यकता है इस नकारात्मक सोच से बाहर निकलने की। 

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3. शेर और जंगली सूअर की कहानी (Short Hindi Stories with Moral)

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एक जंगल में एक शेर रहता था। एक दिन उसे बहुत ज़ोरों की प्यास लगी। वह पानी पीने एक झरने के पास पहुँचा।उसी समय एक जंगली सूअर भी वहाँ पानी पीने आ गया। शेर और जंगली सूअर दोनों स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझते थे। इसलिए पहले पानी पीकर एक-दूसरे पर अपनी श्रेष्ठता साबित करना चाहते थे। दोनों में ठन गई और लड़ाई शुरू हो गई। उसी समय कुछ गिद्ध आसमान से उड़ते हुए गुजरे। 

शेर और जंगली सूअर की लड़ाई देख उन्होंने सोचा कि आज तो दावत पक्की है। इन दोनों की लड़ाई में कोई-न-कोई तो अवश्य मरेगा। फिर छककर उसका मांस खाएंगे। वे वहीं मंडराने लगे। इधर शेर और जंगली सूअर के बीच लड़ाई जारी थी। दोनों पर्याप्त बलशाली थी। इसलिए पीछे हटने कतई तैयार नहीं थे। लड़ते-लड़ते अचानक शेर की दृष्टि आसमान में मंडराते गिद्धों पर पड़ी। वह फ़ौरन सारा माज़रा समझ गया। 

लड़ना बंद कर वह जंगली सूअर से बोला, “ऊपर आसमान में देखो। गिद्ध मंडरा रहे हैं। वे हम दोनों में से किसी एक की मौत की प्रतीक्षा में है। लड़ते-लड़ते मरने और फिर गिद्धों की आहार बनने से अच्छा है कि हम आपस में मित्रता कर लें और शांति से पानी पीकर अपने घर लौटें।” जंगली सूअर को शेर की बात जंच गई। दोनों मित्र बन गए और साथ में झरने का पानी पीकर अपने निवास पर लौट गए। 

Moral – आपसी शत्रुता में तीसरा लाभ उठाता है। इसलिए एक-दूसरे के साथ मित्रवत रहें। 

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4. समस्या का दूसरा पहलू (Small Short Stories with Moral Values in Hindi)

Small story in hindi

पिता ऑफिस का काम करने में व्यस्त था। उसका 10 साल का बच्चा बार-बार कोई सा कोई सवाल लेकर उसके पास आता और पूछ-पूछकर तंग करता। बच्चे  की इस हरकत से पिता परेशान हो रहा था। इसका हल निकालते हुए उसने सोचा क्यों ना बच्चे को कोई ऐसा काम दे दूं। जिसमें वह कुछ घंटे उलझा रहे। उतने समय में मैं अपना काम निपटा लूँगा। 

अबकी बार जब बच्चा आया, तो पिता ने एक पुरानी किताब उठा ली। उसके एक पेज पर वर्ल्ड मैप बना हुआ था।उसने किताब का वह पेज फाड़ किया और फिर उस पेज को कई छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया। वे टुकड़े बच्चे को देते हुए बोला, “यह पेज पर वर्ल्ड मैप बना हुआ था। मैंने इसे कुछ टुकड़ों में बांट दिया है। तुम्हें इन टुकड़ों को जोड़कर फिर से वर्ल्ड मैप तैयार करना है। जाओ इसे जाकर जोड़ो। 

जब वर्ल्ड मैप बन जाये, तब आकर मुझे दिखाना।” बच्चा वो टुकड़े लेकर चला गया। इधर पिता ने चैन की सांस ली कि अब कई घंटों तक बच्चा उसके पास नहीं आयेगा और वह शांति से अपना काम कर पायेगा। लेकिन 5 मिनट के भीतर ही बच्चा आ गया और बोला, “पापा, देखिये मैंने वर्ल्ड मैप बना लिया।”

पिता ने चेक किया, तो पाया कि मैप बिल्कुल सही जुड़ा था। उसने हैरत में पूछा, “ये तुमने इतनी जल्दी कैसे कर लिया?” “ये तो बहुत ही आसान था पापा। आपने जिस पेज के टुकड़े मुझे दिए थे, उसके एक साइड पर वर्ल्ड मैप बना था, एक साइड पर कार्टून। मैंने कार्टून को जोड़ दिया, वर्ल्ड मैप अपने आप तैयार हो गया।” पिता बस बच्चे को देखता रह गया। 

Moral – जीवन में जब भी समस्या आये, तो हर पहलू देखकर उसका आंकलन करना चाहिए। कोई न कोई आसान हल ज़रूर मिल जायेगा। 

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5. मूर्ख ज्योतिषी की कहानी (Moral Stories in Hindi)

बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक ज्योतिषी रहा करता था। उसका विश्वास था कि वह तारों को देखकर भविष्य पढ़ सकता है। इसलिए वह सारी-सारी रात आसमान को ताकता रहता था। गाँव वालों के सामने भी वह अपनी इस विद्या के बारे में ढींगे हांका करता था। एक शाम वह गाँव की कच्ची सड़क पर पैदल चलता हुआ अपने घर की ओर जा रहा है। उसकी नज़रें आसमान पर चमकते तारों पर जमी हुई थी। 

वह तारों को देखकर आने वाले समय में क्या छुपा है, यह पढ़ने की कोशिश कर रहा था। तभी अचानक उसका पैर कीचड़ से भरे एक गड्ढे पर पड़ा और वह गड्ढे में जा गिरा। वह कीचड़ में लथपथ हो गया और किसी तरह गड्ढे से बाहर निकलने के लिए हाथ-पैर मारने लगा। लेकिन एड़ी-चोटी का जोर लगाने के बाद भी वह गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाया। सारी कोशिश बेकार जाती देख वह सहायता के लिए चिल्लाने लगा। 

उसकी चिल्लाने की आवाज़ सुन कुछ लोग दौड़े चले आये। उन्होंने उसे गड्ढे में गिरे देखा, तो समझ गए कि आदतवश वह आसमान में तारों को देखकर भविष्य को समझने लगा हुआ होगा और सड़क का गड्ढा उसने नहीं देखा होगा। उन्होंने उसे बाहर निकाला और बोले, “तुम आसमान में तारों को देखकर भविष्य पढ़ते रहते हो और तुम्हें यही नहीं पता कि तुम्हारे पैरों तले क्या है? भविष्य की तलाश में मत भटको, जो सामने है, उस पर ध्यान दो। भविष्य अपना ख्याल खुद ही रख लेगा। 

Moral – भविष्य की चिंता छोड़कर आज पर ध्यान केंद्रित कर कर्म करो। आज मन लगाकर कर्म करोगे, तो ये कर्म स्वतः भविष्य का निर्माण कर लेंगे। 

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6. गंजा व्यक्ति और मक्खी की कहानी (Short Moral Story in Hindi)

Short moral story in hindi

गर्मी के दिन थे। दोपहर के समय एक गंजा व्यक्ति कहीं से पैदल चला आ रहा था। वह थक चुका था। नीचे बैठा सुस्ता रहा था कि कहीं से एक मक्खी उड़ती हुई आई और उसके गंजे सिर पर भिनभिनाने लगी। उसने उसे भगाया, तो वह उड़ गई। लेकिन कुछ देर बाद आकर फिर से भिनभिनाने लगी। 

गंजा व्यक्ति परेशान होने लगा और यह देख मक्खी को मज़ा आने लगा। अब वह बार-बार उसके सिर पर भिनभिनाने लगी। मौका पाकर उसने उसे काट भी लिया। मक्खी की इस हरक़त से गंजा व्यक्ति तंग आ गया और उसे मारने के लिए ज़ोर से पंजा मारा। मक्खी उड़ गई और वह पंजा उसे अपने ही सिर पर जा लगा। 

कुछ देर बाद मक्खी फिर से आ गई और काटने लगी। इस बार फिर से गंजे व्यक्ति ने उसे पंजा मारा, लेकिन वह फिर उड़ गई और उसे पंजे का वार अपने ही सिर पर पड़ा। गंजा व्यक्ति समझ गया कि इस दुष्ट छोटी सी मक्खी पर वह जितना ध्यान देगा, वह उसे उतना ही परेशान करगी। 

इसलिए अगली बार जब वह आई, तो उसने उसे उड़ाने या भगाने का कोई प्रयास नहीं किया। जब मक्खी ने देखा कि गंजा व्यक्ति पर उस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा, तो वह खुद ही उड़कर किसी और को सताने चली गई। 

Moral – दुष्ट तुच्छ शत्रु पर ध्यान देकर आप खुद का नुकसान करते हैं। 

7. अंधा आदमी और लालटेन (Small Short Stories with Moral Values in Hindi)

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दुनिया में तरह-तरह के लोग होते हैं। कुछ तो ऐसे होते हैं। जो स्वयं की कमजोरियों को तो नज़रंदाज़ कर जाते हैं। लेकिन दूसरों की कमजोरियों पर उपहास करने सदा तत्पर रहते हैं। वास्तविकता का अनुमान लगाये बिना वे दूसरों की कमजोरियों पर हँसते हैं और अपने तीखे शब्दों के बाणों से उन्हें ठेस पहुँचाते हैं। 

लेकिन जब उन्हें यथार्थ का तमाचा पड़ता है, तो सिवाय ग्लानि के उनके पास कुछ शेष नहीं बचता। आज हम आपको एक अंधे व्यक्ति की कहानी बता रहे हैं, जिसे ऐसे ही लोगों के उपहास का पात्र बनना पड़ा। एक गाँव में एक अंधा व्यक्ति रहता था। वह रात में जब भी बाहर जाता, एक जली हुई लालटेन हमेशा अपने साथ रखता था। 

एक रात वह अपने दोस्त के घर से भोजन कर अपने घर वापस आ रहा था। हमेशा की तरह उसके हाथ में एक जली हुई लालटेन थी। कुछ शरारती लड़कों ने जब उसके हाथ में लालटेन देखी, तो उस पर हंसने लगे और उस पर व्यंग्य बाण छोड़कर कहने लगे, “अरे, देखो-देखो अंधा लालटेन लेकर जा रहा है। अंधे को लालटेन का क्या काम?”

उनकी बात सुनकर अंधा व्यक्ति ठिठक गया और नम्रता से बोला, “सही कहते हो भाईयों। मैं तो अंधा हूँ। देख नहीं सकता। मेरी दुनिया में तो सदा से अंधेरा रहा है। मुझे लालटेन का क्या काम? मेरी आदत तो अंधेरे में ही जीने की है। लेकिन आप जैसे आँखों वाले लोगों को तो अंधेरे में जीने की आदत नहीं होती। आप लोगों को अंधेरे में देखने में समस्या हो सकती है। कहीं आप जैसे लोग मुझे अंधेरे में देख ना पायें और धक्का दे दें, तो मुझ बेचारे का क्या होगा? 

इसलिए ये लालटेन आप जैसे लोगों के लिए लेकर चलता हूँ। ताकि अंधेरे में आप लोग मुझ अंधे को देख सकें।” अंधे व्यक्ति की बात सुनकर वे लड़के शर्मसार हो गए और उससे क्षमा मांगने लगे। उन्होंने प्रण किया कि भविष्य में बिना सोचे-समझे किसी से कुछ नहीं कहेंगे। 

Moral – कभी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और कुछ भी कहने के पूर्व अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए। 

8. शेर का इलाज (Short Story in Hindi with Moral)

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एक बार जंगल का राजा शेर काफी बीमार पड़ गया। जंगल के सभी जानवर उसे देखने उसकी गुफा में आए। सिर्फ एक लोमड़ी नहीं आ पाई। भेड़िये ने इस बात का फायदा उठाया और शेर को लोमड़ी के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया।

लोमड़ी को जब आसपास के जानवरों से यह बात पता लगी तो वह अगले दिन शेर के पास गई और गैरहाज़री का कारण बताते हुए बोली, “महाराज मैं आपकी बीमारी की औषधि ढूँढने के लिए बहुत दूर चली गई थी और मैं उसमें सफल हो गई हूँ।” 

उसने बात जारी रखते हुए कहा, “आपको एक जीवित भेड़िये को जलाकर उसकी खाल से अपने पूरे शरीर को ढकना होगा। वह आपको गरमाहट देगी और उससे आप एकदम पहले की तरह स्वस्थ हो जाएंगे।” जंगल में जिंदा भेड़िये को जलाने का आदेश जारी कर दिया गया और इस प्रकार वह भेड़िया मृत्यु को प्राप्त हो गया।

Moral – मुसीबत में हमें सुझ-बूझ से काम करना चाहिए। 

9. कुत्ता जो विदेश चला गया (Short Story for Kids)

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एक नगर में एक कुत्ता अपने साथियों के साथ रहता था। उसका नाम चित्रांग था। सभी कुत्तों का जीवन प्रेम-भाव से रहते हुए सुख-शांति से व्यतीत हो रहा था। लेकिन एक बार उस नगर में अकाल पड़ गया। खेत-खलिहान सूख गये। अन्न-जल की कमी हो गई। मनुष्य सहित जीव-जंतु भूख-प्यास से मरने लगे। 

इस स्थिति में चित्रांग दूसरे देश चला गया। दूसरे वहाँ उसे एक धनी स्त्री का घर मिला। जो बहुत लापरवाह थी। प्रायः उसके घर का दरवाज़ा खुला रहता था और चित्रांग वहाँ घुसकर विभिन्न प्रकार के पकवान छककर खाता था। भोजन की उसे वहाँ कोई समस्या नहीं थी। लेकिन जब भी वह भोजन करके उस घर से बाहर निकलता, तो गली के अन्य कुत्ते ईर्ष्यावश उस पर हमला कर देते और अपने नुकीलें दातों के वार से उसे घायल कर देते। 

कुछ दिन तो भोजन के कारण चित्रांग किसी तरह वहाँ रहा। लेकिन अपने ही वंश-भाइयों का ईर्ष्यापूर्ण व्यवहार उसे रास नहीं आया। उसने सोचा कि इससे तो मेरा नगर ही अच्छा है। वहाँ अकाल अवश्य है, लेकिन यहाँ की तरह कोई अपने वंश-भाई को काट खाने को तो नहीं दौड़ता। मैं तो अपने नगर वापस जा रहा हूँ। 

वह अपने नगर लौट आया। उसके आने की सूचना मिलते ही उसके भाई-बंधू उससे मिलने पहुँच गए। वे सभी विदेश के बारे में जानने को उत्सुक थे। वे पूछने लगे, “भाई, हम सभी जानना चाहते हैं कि वह स्थान कैसा था? वहाँ के लोग कैसे थे? उनका व्यवहार कैसा है? कैसा भोजन तुम वहाँ खाते थे? हमें पूरी बात विस्तार से बताओ।”

चित्रांग बोला, “भाईयों, उस नगर के बारे में तुम्हें क्या बताऊं। वहाँ स्त्रियाँ बहुत लापरवाह होती हैं। अपने घर के दरवाज़े खुले छोड़ देती हैं, जिससे वहाँ आसानी से भोजन करने का अवसर मिल जाता है। लेकिन वहाँ अपने वंश के लोग ही एक-दूसरे के विरोधी हैं। वहाँ कोई मिल-जुलकर नहीं रहता। इसलिए मैं वापस आ गया।”

Moral – स्थान वही अच्छा, जहाँ लोग मिल-जुलकर प्रेम से रहे। 

10. लड़ती बकरियाँ और सियार (Small Short Stories with Moral Values in Hindi)

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एक दिन एक सियार किसी गाँव से गुजर रहा था। गाँव में उस दिन हाट-बाज़ार लगा हुआ था। सियार जब हाट से गुजरा, तो वहाँ उसे लोगों की भीड़ दिखाई पड़ी। वे लोग जोर-जोर से चिल्ला रहे थे और तालियाँ बजा रहे थे। 

सियार उस भीड़ की ओर चल पड़ा और उनके बीच में से झांककर देखने लगा कि आखिर माज़रा क्या है? उसने देखा कि वहाँ दो हट्ठी-कट्ठी बकरियों के बीच लड़ाई हो रही है। लोग उन्हें ही देखकर चिल्ला रहे हैं। दोनों बकरियों के बीच चल रही लड़ाई जबरदस्त थी। अपनी सींगों के वार से दोनों ने एक-दूसरे को लहू-लुहान कर दिया था। 

लेकिन इसके बाद भी कोई रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उनके शरीर से बहता हुआ रक्त सड़क पर फ़ैलने लगा था। ताज़े रक्त की महक जब सियार के नथुनों तक पहुँची, तो उसकी लार टपकने लगी। वह ख़ुद को रोक नहीं पाया और रक्त को चाटने लगा। रक्त को चाटते-चाटते वह बकरियों के नज़दीक पहुँच गया। 

उसके मुँह में बकरियों के रक्त का स्वाद लग चुका था। अब उसका लालच और बढ़ गया। उसने सोचा कि क्यों न इस बकरियों को मारकर मैं अपनी पेट की ज्वाला शांत कर लूं। बस, फिर क्या था? उसने आव देखा न ताव और टूट पड़ा बकरियों के ऊपर। बकरियाँ हट्ठी-कट्ठी और बलशाली थी। 

ऊपर से बहुत देर से लड़ते रहने के कारण तैश में भी थी। सियार के अड़ंगे ने उनका क्रोध भड़का दिया और उन्होंने सियार को ऐसी पटकनी दी कि वह चारों खाने चित हो गया। उसके बाद बकरियों ने उसकी तब तक धुनाई की, जब तक वह मर नहीं गया। 

Moral – कोई भी कदम उठाने के पहले भली-भांति सोच लेना चाहिए। लोभ के वशीभूत होकर उठाया गया कदम पतन की ओर ले जाता है। 

11. रानी और बौना (Hindi Short Stories with Moral for Kids)

एक बार, एक किसान था जो कहता था-“मेरी बेटी भूसे से सोना बना सकती है।” राजा ने यह सुना तो उसने लड़की को भूसे से सोना बनाने को कहा। लड़की को सोना बनाना नहीं आता था। वह रोने लगी। उसका रोना सुनकर एक बौना लड़की की मदद करने वहाँ आया। उसने सोना तो बना दिया लेकिन बदले में उसका हार ले लिया।

राजा ने लड़की को और भूसा दे दिया। इस बार बौने ने सोने के बदले उससे उसका पहला बच्चा मांगा। लड़की के द्वारा भूसे से सोना बनाने से राजा बहुत प्रभावित हुआ और उसने लड़की से विवाह कर लिया। एक साल बाद उनका बेटा पैदा हुआ। बौना बच्चे को लेने आया तो रानी ने बच्चे को देने से मना कर दिया। 

तब बौने ने कहा – “अगर तुम मेरा नाम बता दो तो मैं तुम्हारे बच्चे को छोड़ दूँगा।” रानी ने उसके घर तक उसका पीछा किया। बौना घर जाकर गाना गाने लगा। गाने में उसने अपना नाम बता दिया। इसलिए जब बौने ने अपना नाम पूछा तो रानी ने झट से उसका नाम बता दिया। बौना वहाँ से चला गया। बौना फिर दुबारा कभी लड़की से नहीं मिला।

12. बंद मुट्ठी खुली मुट्ठी (Small Short Stories with Moral Values in Hindi)

एक व्यक्ति के दो पुत्र थे। दोनों का स्वभाव एक-दूसरे के विपरीत था। एक बहुत कंजूस था, तो दूसरा फ़िज़ूलखर्च।पिता उनके इस स्वभाव से परेशान था। उसने कई बार उनको समझाया। लेकिन उन्होंने अपना स्वभाव नहीं बदला। एक दिन पिता को पता चला कि उनके गाँव में एक सिद्ध महात्मा पधारे हैं। 

वह उनके पास इस आस में पहुँच गया कि शायद वो उसके पुत्रों को समझा सके। महात्मा को उसने पूरी बात बताई, जिसे सुनकर महात्मा ने कहा, “अपने पुत्रों को कल मेरे पास लेकर आना। मैं उनसे बात करूँगा।” अगले दिन वह अपने पुत्रों को लेकर महात्मा के पास पहुँचा। 

महात्मा ने दोनों पुत्रों को अपने पास बैठाया और अपने दोनों हाथों की मुठ्ठियाँ बंद कर उन्हें दिखाते हुए पूछा, “यदि मेरे हाथ ऐसे हो जायें, तो कैसा लगेगा?” “लगेगा मानो आपको कोढ़ है।” दोनों पुत्रों ने एक साथ उत्तर दिया। 

उसके बाद महात्मा ने अपनी मुठ्ठी खोल ली। फिर अपनी दोनों हथेली फैलाकर उन्हें दिखाते हुए प्रश्न किया, “यदि मेरे हाथ ऐसे हो जायें, तो बताओ कैसा लगेगा?। “अब भी लगेगा कि आपको कोढ़ है।” दोनों पुत्रों ने उत्तर दिया

उत्तर सुनकर महात्मा गंभीर हो गए और उन्हें समझाने लगे, “पुत्रों! अपनी मुठ्ठी सदा बंद रखना या सदा खुली रखना एक तरह का कोढ़ ही है। यदि मुठ्ठी सदा बंद रखोगे, तो धनवान होते हुए भी निर्धन ही रहोगे और यदि अपनी मुठ्ठी सदा खुली रखोगे, तो फिर चाहे कितने भी धनवान क्यों ना हो, निर्धन होते देर नहीं लगेगी। 

इसलिए कभी अपनी मुठ्ठी बंद रखो कभी खुली। इस तरह से जीवन का संतुलन बना रहेगा।” पुत्रों को महात्मा की बात समझ में आ गई और उन्होंने निश्चय किया कि संतुलन बनाकर ही अपना धन खर्च करेंगे। 

Moral – जीवन में धन का बहुत महत्व है। उसका खर्च सोच-समझकर करना चाहिए। अधिक कंजूसी भी ठीक नहीं और अधिक फ़िज़ूलखर्ची भी ठीक नहीं। 

13. प्यासा कौवा की कहानी

14. चालाक लोमड़ी की कहानी

15. खरगोश और कछुआ की कहानी

16. चींटी और कबूतर की कहानी

17. शेर और चूहे की कहानी

18. चूहे की कहानी

19. अकबर बीरबल की कहानी 

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