Best 10+ Short Moral Stories in Hindi for Class 1 | हिंदी कहानियां

Short Moral Stories in Hindi for Class 1: नमस्कार दोस्तों आज हम कक्षा 1 की कुछ Moral Stories के बारे में जानेंगे। यह छोटी कहानियाँ बच्चों को अच्छी शिक्षा देगी और उनको जीवन के बारे में बहुत ही अच्छी बातें बताएंगी। अगर आपको यह हिंदी कहानियाँ पसंद आए तो इसे शेयर जरूर कीजियेगा। तो आए जानते है Hindi Story for Class 1 के बारे में।

1. बिल्ली के गले में घंटी (Hindi Story for Class 1)

Hindi short stories

एक पंसारी था। उसकी दुकान में बहुत से चूहे रहते थे। वहाँ उनके खाने का भरपूर समान था। वे अनाज, सूखे मेवे, ब्रेड, बिस्कुट, जैम और चीज़ आदि छककर खाते थे। चूहों के कारण पंसारी को काफी नुकसान होता था। एक दिन उसने सोचा, “इन चूहों से छुटकारा पाने के लिए मुझे कुछ उपाय करना चाहिए। वरना ये तो मुझे कहीं का नहीं छोड़ेगें। एक दिन दुकनदार एक बड़ी और मोटी-सी बिल्ली ले आया। उसने उसे दुकान में छोड़ दिया।

अब चूहे खुलेआम घूम-फिर नहीं सकते थे। बिल्ली रोज किसी न किसी चूहे को पकड़ती और उसे मारकर खा जाती। धीरे-धीरे चूहों की संख्या कम होने लगी। इससे चूहों को बहुत चिंता हुई। उन्होंने इसका उपाय ढूँढने के लिये सभा की। सबने एक स्वर मे कहा, “हमें इस बिल्ली से छुटकारा पाना ही होगा”। पर छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए, यह उस सभा में किसी को नहीं सूझता था।

तभी एक होशियार चूहे ने खड़े होकर कहा, “बिल्ली बहुत चालाक है, वह दबे पाँव बड़ी फूर्ती से आती है। इसलिए हमें उसके आने का पता ही नही चलता। हमें किसी तरह उसके गले में एक घंटी बाँध देनी चाहिए।” दूसरे चूहे ने इसका समर्थन किया, “वाह क्या बात कही है! जब बिल्ली चलेगी, तो उसके गले की घंटी बजेगी। हम घंटी की आवाज सुनकर सावधान हो जाएँगे। हम इतने फासले पर रहेंगे कि वह हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेगी।”

सभी चूहों ने इस सुझाव का समर्थन किया। सारे चूहे खुशी से नाचने लगे। तभी एक बूढ़े चूहे ने कहा, “खुशियाँ मनाना बंद करो। मुझे सिर्फ इतना बताओ कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँधेगा?” यह सुनते ही सारे चूहे चुप हो गये। वे एक-दूसरे का मुँह ताकने लगे। उन्हें इस सवाल का कोई जवाब नहीं सूझा। 

Moral – जिस सुझाव पर अमल न हो सके, वह सुझाव किस काम का।

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2. चतुर खरगोश (Moral Stories in Hindi)

Hindi story class 1

एक जंगल में शेर और अन्य प्राणियों के बीच समझौता हुआ था। शेर के भोजन के लिए रोज एक प्राणी को उसकी गुफा में जाना पड़ता था। एक दिन एक खरगोश की बारी आई। उसे शेर के भोजन के समय तक उसकी गुफा में पहुँचना था। खरगोश बहुत चतुर था। उसने दुष्ट शेर को खत्म करने की योजना बनाई। खरगोश जानबूझकर बहुत देर से शेर के पास पहँचा। अब तक शेर के भोजन का समय बीत चुका था। उसे बहुत जोर की भूख लगी थी।

इसलिए खरगोश पर उसे बहुत गुस्सा आया। “तुमने आने में इतनी देर क्यो कर दी?” शेर ने गरजते हुए पूछा। “महराज, क्या करू?” खरगोश ने बहुत ही नम्रतापूर्वक जवाब दिया, “रास्ते में एक दूसरा शेर मिल गया था। वह मेरा पीछा करने लगा। बहुत मुश्किल से मैं उससे पिछा छुड़ाकर यहाँं आ पाया हूँ। “दूसरा शेर? और वह भी इस जंगल में?” शेर ने गरजते हुए पूछा। “हाँ महाराज, दूसरा शेर! वह कहाँ रहता है, यह मुझे मालूम है। 

आप मेरे साथ चलिए। मैं आपको अभी दिखता हूँ।” खरगोश ने कहा। शेर खरगोश के साथ तुरंत ही चल पड़ा। खरगोश उसे एक कुएँ के पास ले गया और बोला, “महराज, यहाँ रहता है वह। आइए, अंदर देरखिए।” शेर ने कुँए में झाँककर देिखा। पानी में उसे अपनी ही परछाई दिखाई दी। 

उसने उस परछाई को ही दूसरा शेर समझ लिया और गुस्से में आकर जोर से गर्जना की। उसने देखा कि कँए का शेर भी उसकी ओर देखकर दहाड़ रहा है। तब शेर अपने गुस्से पर काबू न रख सका। उसने कुएँ में छलॉग लगा दी और पानी में हूबकर मर गया। इस तरह शेर का अंत हो गया।

Moral – बुद्धि ताकत से बड़ी होती है।

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3. कुत्ते की आदत छूटी (Hindi Short Stories for Class 1)

एक बार दो गायें चारा खाने के लिए गौशाला गई। वहाँ पहुँचने पर अपनी नाँद में उन्हें एक कुत्ता बैठा हुआ दिखाई दिया। गायों को देखकर कुत्ता जोर-जोर से भौंकने लगा। उसे लगा कि भौंकने से गायें डरकर भाग जाएँगी। उनमें से एक गाय ने कुत्ते से कहा, “देखो भाई, हमें भूख लगी है। हमें घास खा लेने दो। यह हमारा भोजन है। गाय की बातें सुनकर कुत्ता चिढ़ गया। वह और जोर-जोर से भौंकने लगा। बेचारी गायें वापस लौट आई। 

बाद में एक गाय जाकर एक बैल को बुला लाई। बैल ने कुत्ते से कहा, “अरे भाई, तू तो घास खाता नहीं! यह गायों का चारा है। तू यहाँ से चला जा।” पर बैल की बात का कुत्ते पर कोई असर नहीं पड़ा। वह जमकर वहीं डटा रहा। यह देखकर बैल को गुस्सा आ गया। वह जोर-जोर डकारने लगा। अपने सींग तानकर वह कुत्ते पर वार करने के लिए तैयार हो गया। कुत्ते ने देखा कि बैल गुस्से में है। इसलिए वह तुरंत दुम दबाकर भाग खड़ा हुआ।

Moral – दूसरे की चीज पर अधिकार जताना अच्छा नहीं। 

4. नकलची कौआ (Short Moral Stories in Hindi for Class 1)

एक पहाड़ की ऊँची चोटी पर गरूड़ रहता था। पहाड़ की तलहटी में एक बड़ा पेड़ था। पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था। एक दिन तलहटी में कुछ भेंड़े घास चर रही थीं। गरूड़ की नजर एक मेमने पर पड़ी। वह पहाड़ की चोटी से उड़ा। तलहटी में आकर मेमने पर झपट्टा मारा। उसे चंगुल में लेकर उड़ते हुए वह फिर घोंसले में लौट गया। गरूड़ का यह पराक्रम देखकर कौए को भी जोश आ गया। 

उसने सोचा, “यदि गरूड़ ऐसा पराक्रम कर सकता है, तो मैं क्यों नहीं कर सकता?” दूसरे दिन कौए ने भी एक मेमने को तलहटी में चरते हुए देखा। उसने भी उड़ान भरी और आसमान में जितना ऊपर तक जा सकता था, उड़ता चला गया। फिर उसने मेमने को पकड़ने के लिए गरूड़ की तरह जोर से झपट्टा मारा। 

मगर मेमने तक पहुँचने की बजाय वह एक चट्टान से जा टकराया। उसका सिर फूट गया, चोंच टूट गई और उसके प्राण-पखेरू उड़ गए।

Moral – बिना सोचे-समझे किसी की नकल करने से बुरा हाल होता है।

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5. डरपोक खरगोश (Short Story in Hindi for Class 1)

एक जंगल में एक खरगोश रहता था। वह बहुत ही डरपोक था। कहीं जरा-सी भी आवाज सुनाई पड़ती। तो वह डरकर भागने लगता। डर के मारे वह हर वक्त अपने कान खड़े रखता। इसलिए वह कभी सुख से सो नहीं पाता था। एक दिन खरगोश एक आम के पेड़ के नीचे सो रहा था। तभी पेड़ से एक आम उसके पास आकर गिरा। आम गिरने की अवाज सुनकर वह हड़बड़ा कर उठा और उछलकर दूर जा खडा हुआ। “भागो! भागो! आसमान गिर रहा है।” चिल्लाता हुआ सरपट भागने लगा।

रास्ते में उसे एक हिरन मिला। हिरन ने उससे पूछा, “अरे भाई तुम इस तरह भाग क्यों रहे हो? आखिर मामला क्या है? खरगोश ने कहा, अरे भाग, भाग! जल्दी भाग! आसमान गिर रहा है। हिरन भी डरपोक था। इसलिए वह भी भयभीत होकर उसके साथ भागने लगा। भागते-भागते दोनो जोर-जोर से चिल्ला रहे थे, “भागो! भागो! आसमान गिर रहा है।” उनकी देखादेखी डर के मारे जिराफ, भेडिया, लोमडी, गीदड़, तथा अन्य जानवरों का झुंड भी उनके साथ भागने लगा। 

सभी भागते-भागते एक साथ चिल्लाते जा रहे थे, भागो! भागो! आसमान गिर रहा है। उस समय सिंह अपनी गुफा में सो रहा था। जानवरो का शोर सुनकर वह हडबड़ाकर जाग उठा । गुफा से बाहर आया, तो उसे बहुत क्रोध आया। उसने दहाड़ते हुए कहा, रूको! रूको! आखिर क्या बात है? सिंह के डर से सभी जानवर रूक गए। सबने एक स्वर मे कहा, “आसमान नीचे गिर रहा है।”

यह सुनकर सिंह को बड़ी हँसी आई। हँसते-हँसते उसकी आँखो में आँसू आ गए। उसने अपनी हँसी रोककर कहा,”आसमान को गिरते हुए किसने देखा है?” सब एक-दूसरे का मुँह ताकने लगे। अंत में सभी की निगाह खरगोश की ओर मुड़ गई तभी उसके मुँह से निकला, “आसमान का एक टुकड़ा तो उस आम के पेड़ के नीचे ही गिरा है।” “अच्छा चलो, हम वहाँ चलकर देखते हैं।” सिंह ने कहा।

सिंह के साथ जानवरों की पूरी पलटन आम के पेड़ के पास पहुँची सबने इधर-उधर तलाश की। किसी को आसमान का कोई टुकड़ा कहीं नजर नही आया। हाँ, एक आम जरूर उन्हें जमीन पर गिरा हुआ दिखाई दिया। सिंह ने आम की ओर इशारा करते हुए खरगोश से पूछा, “यही है, आसमान का टुकड़ा, जिसके लिए तुमने सबको भयभीत कर दिया?” अब खरगोश को अपनी भूल समझ में आई। 

उसका सिर शर्म से झुक गया। वह डर के मारे थर-थर काँपने लगा। दूसरे जानवर भी इस घटना से बहुत शार्मिंदा हुए। वे अपनी गलती पर पछता रहे थे कि सुनी-सुनाई बात से डरकर वे बेकार ही भाग रहे थे।

Moral – सुनी-सुनाई बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

6. मुर्गा और लोमड़ी (Beginner Hindi Short Stories for Class 1)

एक जंगल में एक धूर्त लोमड़ी रहती थी। एक बार उसने एक मुर्गे को पेड़ की ऊँची डाल पर बैठे हुए देखा। लोमड़ी ने मन-ही-मन सोचा, “कितना बढ़िया भोजन हो सकता है यह मेरे लिए?” पर मुश्किल यह थी कि वह पेड़ पर चढ़ नही सकती थी। वह चाहती थी कि किसी तरह मुर्गा नीचे उतर आए। इसलिए लोमड़ी पेड़ के नीचे गई। उसने मुर्गे से कहा, “मुर्गा भाई, आपके लिए एक खुशखबरी है। स्वर्ग से अभी-अभी आदेश आया है कि अब से सभी पशु-पक्षी मिल-जुलकर रहेंगे। 

अब वे कभी एक-दूसरे को नहीं मारेंगे। लोमडियाँ भी अब मुर्गे-मुर्गियों को नहीं खाएँगी। इसलिए तुम्हें मुझसे डरने की जरूरत नहीं है। नीचे आ जाओ! हम लोग बैठकर आपस में बातें करेंगे।” मुर्गे ने कहा,” वाह-वाह! यह तो तुमने बड़ी अच्छी खबर सुनाई। वह देखो, तुम्हारे कुछ दोस्त भी तुमसे मिलने के लिए आ रहे है।” मेरे दोस्त! लोमड़ी ने आश्चर्य से कहा, “मेरे कौन-से दोस्त आ रहे है? वही शिकारी कुत्ते! मुर्गे ने मुस्कराते हुए कहा। 

शिकारी कुत्तों का नाम सुनते ही लोमड़ी भय से काँपने लगी। उसने भागने के लिए जोर की छलाँग लगायी। मुर्गे ने कहा, “तुम उनसे क्यों घबरा रही हो? अब तो हम लोग आपस में दोस्त बन गये हैं न?” हाँ, हाँ यह बात तो है! लोमड़ी ने कहा, “पर इन कुत्तों को अभी शायद इस बात का पता नहीं होगा।” यह कहकर लोमड़ी शिकारी कुत्तों के डर से सरपट भाग खड़ी हुई। 

Moral – घूर्त की बातों पर आँख मूँद कर विश्वास नहीं कर लेना चाहिए।

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7. टेढ़ा पेड़ (10 Lines Short Stories with Moral in Hindi)

Short moral story in hindi for class 1

एक जंगल में एक अजीब टेढ़ामेढ़ा पेड़ था। उसके तने और डालियों का आकार बहुत भद्दा था। उसके आसपास के अन्य पेड़ सीधे और सुंदर आकार के थे। सुंदर आकारवाले ऊँचे-ऊँचे पेड़ों को देखकर टेढ़ा पेड़ कहता, कितने सुंदर और सीधे हैं ये पेड़! फिर उदास होकर मन-ही-मन बुदबुदाता, कितना अभागा हूँ मैं! आखिर मैं ही इतना टेढ़ामेढ़ा और भद्दा क्यों हूँ? एक दिन एक लकड़हारा उस जंगल में आया। 

उसने टेढ़े पेड़ को देखकर कहा, यह पेड़ तो मेरे किसी काम का नहीं है। उसने सुंदर आकारवाले सीधे पेड़ो को हीं पसंद किया और देखते-ही-देखते उन्हें काटकर जमीन पर गिरा दिया। इसके बाद टेढ़े पेड़ को कभी अपने भद्देपन पर दुख नही हुआ। वास्तव में अपने भद्देपन के कारण ही वह लकड़हारे की कुल्हाड़ी का शिकार होने से बच गया था।

Moral – शिक्षा तुम्हारे पास जो है, उसी में खुश रहो।

8. मूर्ख गधा (Hindi Short Story for Class 1)

एक कुम्हार था। उसने एक कुत्ता और एक गधा पाल रखा था। कुम्हार के मकान के चारों ओर पत्थर की चहारदीवारी थी। कुत्ता रोज चहारदीवारी के अंदर उसके घर और मिट्टी के बर्तनों की रखवाली करता था। गधा अपने मालिक का वजनदार बोझ ढ़ोने का काम करता। गधा कुत्ते से ईर्ष्या करता था। वह मन-ही-मन सोचता, “कुत्ते का जीवन कितने आराम का है! केवल चहारदीवारी के भीतर इघर-उधर घूमना और किसी अजनबी को देखकर भौंकना।” ऊपर से मालिक उसे प्यार से थपथपाता है। 

उसे अच्छा खाना खिलाता है। मैं दिन भर भारी बोझ ढ़ोता फिरता हूँ। बदले में कुम्हार मुझे क्या देता है? वह मेरी पीठ पर डंडे लगाता है और खाने के लिये बचा-खुचा घटिया खाना देता है। यह तो वास्तव में घोर अन्याय है।” कुछ दिन बाद गधे को विचार आया, “क्यों न मैं भी मालिक को कुत्ते की तरह खुश करने की कोशिश करूँ? मालिक घर लौटता है, तो कुत्ता उसे खुश करने के लिये कितने प्यार से भौंकता है। पूँछ हिलाते हुए उसके पास पहुँचता है।

अपने अगले पैर उठाकर उसके शरीर पर रखता है। मुझे भी इसी तरह करना चाहिए। फिर मालिक मुझे भी प्यार करेगा।” गधा मन-ही-मन सोच रहा था कि उसी समय उसने मालिक को आते हुए देखा। उसके स्वागत में गधा ढींचू- ढींचू करते रेंकने लगा, खुशी से अपनी पूँछ हिलाने लगा। 

आगे बढ़कर उसने अपने दोनों पैर कुम्हार की जाँघो पर रख दिए। गधे की इस हरकत से कुम्हार हक्का बक्का रह गया। उसे लगा की गधा पागल हो गया है। उसने मोटा-सा डंडा उठाया और गधे की खूब पिटाई की। बेचारे गधे ने अपने मालिक को खुश करने की कोशिश की थी, पर बदले में उसे डंडे खाने पड़े।

Moral – किसी से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।

9. लालची बंटी (Kids Story in Hindi)

बंटी नाम का एक प्यारा लड़का था। उसे टाफियाँ बहुत पसंद थी। एक दिन वह अपनी माँ के साथ अपनी मौसी के घर गया। मौसी बंटी की आदत से पररचित थी। इसलिए वह टाफियों से भरा मर्तबान ही उसके लिए खरीद लाई थी। मौसी ने अलमारी से टाफियों का मर्तबान निकाल कर बंटी के सामने रख दिया। बंटी इतनी सारी टाफियाँ देखकर पुलकित हो गया। मौसी ने कहा, बंटी जितनी सारी टाफियाँ चाहिए ले लो। 

बंटी ने झटपट मर्तबान का ढक्कन खोलकर हाथ भीतर डाल दिया। जितनी टाफियाँ मुटठी में समा सकती थी, उसने उतनी टाफियाँ मुटठी में भर लीं। मर्तबान का मुँह बहुत छोटा था। टाफियों से भरी मुटठी मर्तबान के मुँह से बड़ी हो गयी। इसलिए बंटी का हाथ बाहर नहीं आ रहा था। 

उसने बहुत कोशिश की अपने दूसरे हाथ से मर्तबान को आगे पीछे बढ़ाया। उसे तेजी से गोल-गोल घुमाया। पर उसका हाथ बाहर नही निकला। बंटी की परेशानी देख माँ ने कहा, बेटे! अक्ल से काम लो अपनी मुटठी खोलकर कुछ टाफियाँ गिरा दो फिर तुम्हारा हाथ आसानी से निकल आएगा। बंटी ने वैसा ही किया। उसका हाथ आराम से बाहर निकल आया।

Moral – पेटू बनना अच्छा नहीं।

10. घोड़े को सबक (Short Moral Stories in Hindi for Class 1)

एक आदमी के पास एक घोड़ा और एक गधा था। एक दिन वह इन दोनों को लेकर बाजार जा रहा था। उसने गधे की पीठ पर खूब सामान लादा था। घोड़े की पीठ पर कोई सामान नही था। रास्ते में गधे ने घोड़े से कहा, भाई मेरी पीठ पर बहुत ज्यादा वजन है। थोड़ा बोझ तुम भी अपनी पीठ पर ले लो। घोड़े ने कहा, बोझ ज्यादा हो या कम, मुझे इससे कुछ लेना-देना नहीं है। यह बोझ तुम्हारा है और इसे तुम्हें ही उठाकर चलना है। मुझसे इसके बारे में कुछ मत कहो। यह सुनकर गधा चुप हो गया। 

फिर वे तीनों चुपचाप चलने लगे। थोड़ी देर बाद भारी बोझ के कारण गधे के पाँव लड़खड़ाने लगे और वह रास्ते पर गिर पड़ा। उसके मुँह से झाग निकलने लगा। इसके बाद उस आदमी ने गधे की पीठ से सारा सामान उतार दिया और यह सारा बोझ घोड़े की पीठ पर लाद दिया। चलते-चलते घोड़ा सोचने लगा, यदि मैंने गधे का कुछ भार अपनी पीठ पर ले लिया होता, तो कितना अच्छा होता। अब मुझे सारा बोझ उठाकर बाजार तक ले जाना पड़ेगा।

Moral – दूसरों के दुःख-दर्द में हाथ बँटाने से हमार दुःख -दर्द भी कम हो जाता है।

11. भेड़ के वेष में भेड़िया (Hindi Short Stories)

एक दिन एक भेड़िए को कहीं से भेड की खाल मिल गई। खाल ओढ़कर वह मैदान में चर रही भेड़ों के झुंड में शामिल हो गया। भेड़िए ने सोचा, “सूर्य अस्त हो जाने के बाद गड़रिया भेड़ों को बाड़े में बंद कर देगा। भेड़ों के साथ मैं भी बाड़े में घुस जाऊँगा। रात को किसी मोटी भेड़ को उठा कर भाग जाऊँगा और मजे से खाऊँगा।” शाम हुई तो गड़रिया भेड़ों को बाड़े में बंद कर घर चला गया। भेड़िया चुपचाप अँधेरा होने का इंतजार करने लगा। 

धीरे-धीरे अँधेरा गहराने लगा। यहाँ तक तो सब कुछ भेड़िए की योजना के अनुसार ही हुआ। फिर एक अनहोनी घटना घट गई। एकाएक गड़रिए का नौकर बाड़े में आया। उसके मालिक ने रात के भोजन के लिए किसी मोटी भेड़ को लाने के लिए उसे भेजा था। संयोग से नौकर भेड़ की खाल ओढ़े भेड़िए को ही उठाकर ले गया और उसे हलाल कर डाला। भेड़िया भेड़ खाने के लिए आया था, परंतु उस रात वह गड़रिए और उसके मेहमानों का आहार बन गया।

Moral – बुरा सोचने वाले का अंत बुरा ही होता है।

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