Class 2 Short Moral Stories in Hindi: आज हम कक्षा 2 की कुछ मोरल कहानियों के बारे में जानेंगे। ये कहानियाँ आपने बचपन में जरूर सुनी होगी। ये हिंदी नैतिक कहानियाँ बच्चों को अच्छी शिक्षा देगी और उनके जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी होगी। तो आए जानते है Hindi Stories For Class 2 के बारे में।
1. अंगूर खट्टे है (Hindi Stories For Class 2)
एक दिन एक भूखी लोमड़ी अंगूर के बगीचे में जा पहुँची। बेलों पर पके हुए अंगूरों के गुच्छे लटक रहे थे। यह देख लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। मुँह ऊपर की ओर तानकर उसने अंगूर पाने की कोशिश की। पर वह सफल न हो सकी। अंगूर काफी ऊँचाई पर थे।
उन्हें पाने के लिए लोमड़ी खूब उछली, फिर भी वह अंगृूरों तक नहीं पहुँच सकी। जब तक वह पूरी तरह थक नहीं गई, उछलती ही रही। आखिरकार थककर उसने उम्मीद छोड़ दी और वहाँ से चलती बनी। जाते-जाते उसने कहा, “अंगूर खट्टेहैं। ऐसे खट्टे अंगूर कौन खाए?”
Moral – हार मानने में हर्ज क्या।
2. टिड्डा और चींटी (Class 2 Short Moral Stories in Hindi)
गर्मियों के दिन थे। खुली धूप थी और मौसम साफ था। अनाज भी भरपूर था। ऐसे समय पर एक टिड्डा भरपेट खाना खाकर गीत गाने में मस्त था। उसने देखा, कुछ चींटियाँ खाने की सामग्री ले जा रही हैं। शायद वे भविष्य के लिए संग्रह कर रही थीं। चींटियों को देखकर वह हँसने लगा। उनमे से एक चींटी से उसकी दोस्ती थी।
टिड्डे ने उस चींटी से कहा, “तुम सब कितनी लालची हो! इस खुशी के मौके पर भी काम कर रही हो! तरस आता है तुम पर!” चींटी ने जवाब दिया, “अरे भाई, हम लोग बरसात के लिए खाने की सामग्री एकत्र कर रही हैं।” गर्मियों के बाद बरसात का मौसम शुरू हुआ। आकाश में बादल छा गए।
खुली धूप जाती रही! अब टिड्डे के लिए भोजन जुटाना मुश्किल हो गया। आखिरकार उसके सामने भूखों मरने की समस्या खड़ी हो गई। एक दिन टिड्डे ने अपनी दोस्त चींटी का दरवाजा खटखटाया। उसने कहा, “चींटी बहन कृपा कर मुझे कुछ खाने के लिए दो। मैं बहुत भूखा हूँ।
चींटी ने जवाब दिया, “गर्मी के दिनों में तो तुम गीत में मगन होकर इधर-उधर घूमते रहे, अब बरसात के मौसम में कही जाकर नाचो। तुम जैसे आलसी को मैं एक भी दाना नहीं दे सकती।” और उसने झट से दरवाजा बंद कर दिया।
Moral – आज की बचत ही कल काम आती है।
3. लोमड़ी और सारस (Hindi Stories For Class 2)
एक सारस की एक लोमड़ी से मित्रता हो गई। एक बार लोमड़ी ने सारस को भोजन का निमंत्रण दिया। उसने सूप तैयार किया और उसे दो सपाट तश्तरियों में परोस दिया। चलो, खाने की शुरूआत करें। लोमड़ी ने सारस से कहा और सूप चाटना शुरू कर दिया। बड़ा मजेदार है। है न! सूप चाटते-चाटते वह बोली।
सारस ने सूप की सुगंध ली। उसके मुँह में पानी आ गया। पर सूप की एक बूंद भी उसके मुँह तक नहीं पहुँची उसकी चोंच लंबी थी और तश्तरी सपाट थी। उसे पता चल गया कि धूर्त लोमड़ी उसके साथ मजाक कर रही है। लेकिन सारस चुप रहा। वह देखता रहा लोमड़ी सूप चट कर गई।
कुछ दिनों के बाद सारस ने लोमड़ी को भोजन का निमंत्रण दिया। वह लोमड़ी को अपने यहाँ ले गया। उसने भी स्वादिष्ट सूप बनाया। सँकरे मुँहवाली दो सुराहियों में सूप परोसकर सारस ने कहा- चलो, शुरू करें खाना। उसने अपनी लंबी चोच सुराही में डाल दी। सारस आराम से सूप पी रहा था। सूप पीते-पीते उसने लोमड़ी से कहा, मैंने इतना स्वादिष्ट सूप कभी नही चखा था।
इसे मैंने विशेष रूप से तुम्हारे लिए बनाया है। शर्म मत करो, जी भर कर खाओ। पर लोमड़ी सूप का जरा भी स्वाद नही ले पाई। सुराही का गला बहुत तंग था। सूप तक उसका मुँह पहुँच ही नहीं पाया। उसे बडा दुःख हुआ। लोमड़ी समझ गई की उसने सारस के साथ जो शरारत की थी, उसी का यह फल उसे भुगतना पड़ रहा है।
Moral – जैसे को तैसा मिला।
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4. बंदर का इंसाफ (Short Moral Stories in Hindi For Class 2)
दो बिल्लियाँ थीं। उन्हे एक दिन रास्ते पर एक केक दिखाई दिया। एक बिल्ली ने उछल कर फौरन उस केक को उठा लिया। दूसरी बिल्ली उससे केक छीनने लगी। पहली बिल्ली ने कहा, चल हट! यह केक मेरा है पहले मैंने ही इसे उठाया है। दूसरी बिल्ली ने कहा, इसे पहले मैने देखा था, इसलिए यह मेरा हुआ।
उसी समय वहाँ से एक बंदर जा रहा था। दोनो बिल्लियो ने उससे प्रार्थना की, भाई तुम्हीं निर्णायक बनो और हमारा झगड़ा निपटाओ। बंदर ने कहा, लाओ यह केक मुझे दो। मैं इसके दो बराबर-बराबर हिस्से करूँगा और दोनों को एक-एक हिस्सा दे दूँगा। बंदर ने केक के दो दुकड़े किये। उसने दोनो टुकड़ो को बारी-बारी से देखा।
फिर अपना सिर हिलाते हुए कहा, दोनो टुकड़े बराबर नही हैं। यह टुकड़ा दूसरे टुकड़े से बड़ा है। उसने बड़े टुकड़े से थोड़ा हिस्सा खा लिया। दोनो हिस्से बराबर नही हुए। बंदर ने फिर बड़े हिस्से में से थोड़ा खा लिया। बंदर बार-बार बड़े टुकड़े में से थोड़ा-थोड़ा खाता रहा। अंत मे केक के केवल दो छोटे-छोटे टुकड़े बचे।
बंदर नें बिल्लयो से कहा, ओ-हो-हो! अब भला इतने छोटे-छोटे टुकड़े मैं तुम्हे कैसे दे सकता हूँ? चलो मैं ही खा लेता हूँ। यह कहकर बंदर केक के दोनो टुकड़े मुँह में डालकर चलता बना।
Moral – दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा।
5. मधुमक्खी और कबूतर (Moral Story in Hindi)
एक मधुमक्खी थी। एक बार वह उड़ती हुई तालाब के ऊपर से जा रही थी। अचानक वह तालाब के पानी में गिर गई। उसके पंख गीले हो गए। अब वह उड़ नहीं सकती थी। उसकी मृत्यु निश्चित थी। तालाब के पास पेड़ पर एक कबूतर बैठा हुआ था। उसने मधुमक्खी को पानी में डूबते हुए देखा। कबूतर ने पेड़ से एक पत्ता तोड़ा। उसे अपनी चोंच में उठाकर तालाब में मधुमक्खी के पास गिरा दिया।
धीरे-धीरे मधुमक्खी उस पत्ते पर चढ़ गई। थोड़ी देर में उसके पंख सूख गये। उसने कबूतर को धन्यवाद दिया। फिर वह उड़ कर दूर चली गई। कुछ दिन के बाद कबूतर पर एक संकट आया। वह पेड़ की डाली पर आँख मूंद कर सो रहा था। तभी एक लड़के ने गुलेल से उस पर निशाना साधा। कबूतर इस खतरे से अनजान था। मगर मधुमक्खी ने लड़के को निशाना साथते हुए देख लिया था।
मधुमक्खी उड़कर लड़के के पास पहुँची। उसने लड़के के हाथ में काट लिया। लड़के के हाथ से गुलेल गिर पड़ी। दर्द के मारे वह जोर-जोर से चीखने लगा। लड़के की चीख सुनकर कबूतर जाग उठा। उसने अपनी जान बचाने के लिए मधुमक्खी को धन्यवाद दिया और मजे से उड़ गया।
Moral – अच्छे लोग हमेशा दूसरों की मदद करते है।
6. दो बकरे (Class 2 Short Moral Stories in Hindi)
दो बकरे थे। एक काले रंग का था एक भूरे रंग का था। एक दिन वे झरने पर बने पुल से गुजर रहे थे। काला बकरा पुल के इस छोर से और भूरा बकरा उस छोर से आ रहा थो। पुल के बीचो-बीच दोनों बकरो का आमना-सामना हुआ। दोनों अकड़कर खड़े हो गए। पुल बहुत ही सॅकरा था। एक बार में उस पुल पर से एक ही जानवर पुल से जा सकता था।
काले बकरे ने भूरे बकरे से गुर कर कहा, “तू मेरे रास्ते से हट जा।” भूरे बकरे ने भी इसी प्रकार गुर्रा कर जवाब दिया, “अबे कालिए, वापस चला जा, वरना मैं तुझे इस झरने में फेंक दूँगा।” वे दोनो थोडी देर तक एक-दूसरे को धमकाते रहे। उसके बाद दोनों एक दूसरे से भिड़ गए। फिर क्या था! दोनों अपना-अपना संतुलन खो बैठे और लड़खड़ाकर झरने मे जा गिरे। वे झरने की धारा के साथ बहने लगे। थोड़ी देर में ही दोनों डूब कर मर गए।
इसी तरह दूसरी बार दो बकरियाँ इसी पुल के बीचो-बीच आमने-सामने आ गई। वे दोनो समझदार एंव शांत मिजाज वाली थी। उनमें से एक बकरी बैठ गई। उसने दूसरी बकरी को अपने शरीर के ऊपर से जाने दिया। उसके बाद वह खड़ी हो गई। धीरे-धीरे चल कर उसने भी पुल पार कर लिया।
Moral – क्रोध दुख का मूल है, शांति खुशी की खान है।
7. लालची कुत्ता (Moral Stories in Hindi)
एक बार एक कुत्ते को हड्डी का एक टुकड़ा मिल गया। उसे अपने मुँह में दबाकर वह एक कोने में जा बैठा। वह थोड़ी देर तक उस हड्डी के टुकड़े को चूसता रहा। बाद में थककर वहीं सो गया। जब उसकी नींद खुली। तो उसे जोरों की प्यास लगी। मुँह में हड्डी का टुकड़ा दबाए वह पानी की खोज में चल पड़ा।
वह एक नदी के किनारे गया। पानी पीने के लिये वह झुका, तो उसे पानी में अपनी ही छाया दिखाई दी। उसे लगा, नदी में कोई दूसरा कुत्ता है। उस कुत्ते के मुँह मे भी हईी का हुकड़ा है। कुत्ते के मन में इस हड्डी के टुकड़े को हथिया लेने का विचार आया।
उसने गुस्से में आकर जैसे ही भौंकने के लिये मुँह खोला, तो उसके मुँह से हड्डी का टुकड़ा नदी मे जा गिरा। लालच में उसने अपने मुँह की हड्डी भी गँवा दी।
Moral – लालच का फल बुरा होता है।
8. चिंटू और बेरवाला (Short Moral Stories in Hindi For Class 2)
चिंटू बड़ा चतुर एंव निडर लड़का था। एक बार उसने बेरवाले से बेर खरीदे। बेरवाले ने उसे वजन में कम बेर दिए। चिंटू बेरवाले की चालाकी देख रहा था। उसने तुरंत बरवाले से पूछा, तुम मुझे कम बेर क्यों दे रहे हो? बेरवाले ने मक्कारी से कहा, तुम्हें ले जाने में आसानी हो, इसलिए।
चिंटू ने झटपट कुछ पैसे बेरवाले की हथेली पर रखे और जल्दी-जल्दी जाने लगा। बेरवाले ने पैसे गिने। पैसे कम थे। उसने चिंटू को वापस बुलाकर कहा, तुमने मुझे कम पैसे क्यों दिए? चिंटू ने फौरन कहा, ताकि तुम्हें गिनने में आसानी हो।
Moral – चालाक के साथ चालाकी नहीं चलती।
9. साहूकार का बटुआ (Class 2 Short Moral Stories in Hindi)
एक बार एक ग्रामीण साहूकार का बटुआ खो गया। उसने घोषणा की कि जो भी उसका बटुआ लौटाएगा, उसे सौ रूपए का इनाम दिया जाएगा। बटु्आ एक गरीब किसान के हाथ लगा था। उसमें एक हजार रूपए थे। किसान बहुत ईमानदार था। उसने साहकार के पास जाकर बटुआ उसे लौटा दिया।
साहूकार ने बटुआ खोलकर पैसे गिने। उसमे पूरे एक हजार रूपये थे। अब किसान को इनाम के सौ रूपए देने मे साहूकार आगापीछा करने लगा। उसने किसान से कहा, “वाह! तू तो बड़ा होशियार निकला! इनाम की रकम तूने पहले ही निकाल ली।” यह सुनकर किसान को बहुत गुस्सा आया।
उसने साहूकार से पूछा, “सेठजी, आप कहना क्या चाहते हैं?” साहूकार ने कहा, “मैं क्या कह रहा हूँ, तुम अच्छी तरह जानते हो। इस बटुए में ग्यारह सौ रूपए थे। पर अब इसमें किवल एक हजार रुपये ही हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि इनाम के सौ रूपए तुमने इसमें से पहले ही निकाल लिए हैं।”
किसान ने कहा, “मैंने तुम्हारे बटुए में से एक पैसा भी नहीं निकाला है। चलो, सरपंच के पास चलते हैं, वहीं फैसला हो जाएगा।” फिर वे दोनों सरपंच के पास गए। सरपंच ने उन दोनों की बातें सुनीं । उसे यह समझते देर नहीं लगी कि साहूकार बेईमानी कर रहा है।
सरपंच ने साहकार से कहा, “आपको पूरा यकीन है कि बटुए में ग्यारह सौ रूपए थे?” साहूकार ने कहा, “हाँ मुझे पूरा यकीन है।” सरपंच ने जवाब दिया, “तो फिर यह बटुआ आपका नहीं है।” और सरपंच ने बटुआ उस गरीब किसान को दे दिया।
Moral – झूठ बोलने की भारी सजा भुगतनी पड़ती है।
10. स्वार्थी दोस्त (Short Story in Hindi with Moral)
श्याम और राम अच्छे मित्र थे। एक दिन वे जंगल से होकर जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक भालू दिखाई दिया। वह उनकी तरफ आ रहा था। श्याम तुरंत भाग कर पास के पेड़ पर चढ़ गया। राम को पेड़ पर चढ़ना नही आता था। पर उसने सुना था। कि जानवर मरे हुए लोगों को कुछ नही करते। इसलिए वह स्थिर होकर जमीन पर लेट गया। उसने अपनी आँखे मूँद ली और साँस रोक ली भालू राम के पास आया।
उसने चेहरे को सूँघा। उसे लगा कि वह मर चुका है। और भालू आगे बढ़ गया। जब भालू कुछ दूर चला गया। तो श्याम पेड़ से उतरा उसने राम से पूँछा, “भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था?” राम ने जवाब दिया, “उसने कहा कि स्वार्थी लोगों से दूर रहो।
Moral – समय पर काम में आने वाला मित्र ही सच्चा मित्र है।
11. गधे की परछाई (Hindi Stories For Class 2)
गर्मियों के दिन थे। तेज धूप में एक यात्री को एक गाँव से दूसरे गाँव जाना था। दोनो गाँव के बीच एक निर्जन मैदान था। यात्री ने किराए पर एक गधा ले लिया। गधा आलसी था। वह चलते-चलते बार-बार रूक जाता था। इसलिए गधे का मालिक उसके पीछे-पीछे चल रहा था। जब गधा रूकता तो वह उसे डंडा मारता गधा फिर आगे चलने लगता था। चलते-चलते दोपहर हो गई। आराम करने के लिए वे रास्ते में रूक गए। वहाँ आस पास कोई छाया नहीं थी।
इसलिए यात्री गधे की परछाई में बैठ गया। गर्मी के कारण गथे का मालिक भी बहुत थक गया था। वह भी गधे की परछाई में बैठना चाहता था। इसलिए उसने यात्री से कहा, “देखो भाई यह गधा मेरा है। इसलिए गधे की परछाई मेरी है। तुमने केवल गधे को किराए पर लिया है उसकी परछाई से हमारा कोई सौदा नही हुआ है। इसलिए मुझे गधे की परछाई में बैठने दो।” यात्री ने कहा, “मैंने पूरे दिन के लिए गधे को किराए पर लिया है।
इसलिए पूरे दिन गधे की परछाई का उपयोग करने का भी मेरा ही अधिकार है। तुम गधे से उसकी परछाई को अलग नही कर सकते।” दोनो आदमी आपस में झगड़ने लगे। फिर उनमे मारपीट शुरू हो गई। इतने में गधा भाग खड़ा हुआ। वह अपने साथ अपनी परछाई भी ले गया।
Moral – छोटी-छोटी बातों पर लड़ना अच्छा नही।
12. टोपीवाला और बंदर (Class 2 Hindi Moral Stories)
दो छोटे-छोटे गाँव थे। दोनों गाँवो के बीच एक जंगल था। इस जंगल में बहुत सारे बंदर रहते थे। एक दिन एक टोपी वाला टोपियाँ बेचने के लिए इस जंगल से होकर जा रहा था। वह चलते-चलते थक गया था। उसने अपना टोपियों से भरा संदूक एक पेड़ के नीचे रखा और वहाँ बैठकर आराम करने लगा। थोड़ी देर बाद उसे नींद आ गई।
जब टोपी वाले की नींद खुली तो वह चौंक कर उठा। उसका संदूक खुला था और सारी टोपियाँ गायब थी। इतने में उसे बंदरों की आवाज सुनाई दी। उसने ऊपर देखा उस पेड़ पर बहुत सारे बंदर थे। सभी बंदरों ने सर पर टोपियाँ पहनी हुई थी। टोपीवाले को बहुत गुस्सा आया।
उसने पत्थर उठा-उठा कर बंदरों को मारना शुरू किया। उसकी नकल करते हुए बंदरो ने भी पेड़ से फल तोड़कर टोपीवाले की ओर फेकने शुरू किया। अब टोपीवाले को समझ में आ गया कि बंदरो से टोपियाँ कैसे वापस ले सकता है। टोपीवाले ने अपने सर से टोपी उतारी और उसे जमीन पर फेंक दी।
नकलची बंदरो ने यह देखा तो उन्होंने भी अपने सर की टोपियों को उतारकर फेंकना शुरू कर दिया। टोपीवाले ने जल्दी-जल्दी टोपियाँ इकट्ठी की संदूक में रखी और खुशी-खुशी दूसरे गाँव की ओर चल पड़ा।
Moral – सूझबूइझ से ही हम कठिनाइयों से पार पा सकते है।
13. काजू खाने वाला लड़का (Moral Stories in Hindi)
एक लड़का था। उसे काजू बहुत पसंद थे। इसलिए उसकी माँ उसे थोड़े-थोड़े काजू खाने के लिए देती थी। लड़का हमेशा माँ से ज्यादा काजू देने का हठ करता। पर उसकी माँ उसे हर बार कहती नही बेटे एक साथ ज्यादा काजू नहीं खाने चाहिए। यदि एक साथ ज्यादा काजू खाओगे। तो तुम्हारे पेट में दर्द होने लगेगा।
यह सुनकर लड़का चुप हो जाता। पर उसने माँ की बात पर कभी ध्यान नही दिया। एक दिन उसकी माँ बाहर गई हुई थी। लडका घर पर अकेला था। उसने जल्दी-जल्दी काजू का डिब्बा उतारा उस दिन घर पर उसे रोकने वाला कोई नहीं था। उसने भर पेट काजू खाए। दूसरे दिन लड़का बीमार पड़ गया। उसके पेट में जोरो की पीड़ा होने लगी। उसे इस बात का बड़ा पछतावा हुआ कि उसने माँ का कहना नही माना।
Moral – माता-पिता तुम्हारे शुभचिंतक है। उनका कहना मानो।
14. भेड़ चरानेवाला लड़का और भेड़िया (Hindi Short Stories)
एक भेड़ चरानेवाला लड़का था। वह रोज भेड़ों को चराने के लिए जंगल में ले जाता था। जंगल में वह अकेला होता था। इसलिए उसका मन नही लगता था। एक दिन उसे मजाक करने की सूझी। वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “बचाओ बचाओ भेड़िया आया भेड़िया आया।” आसपास के खेतों में किसान काम कर रहे थे। उन्होंने लड़के की आवाज सुनी वे अपना-अपना काम छोड़कर लड़के की मदद के लिए दौड़ पड़े।
जब लड़के के पास पहुँचे। तो उन्हें कहीं भेड़िया दिखाई नही दिया। किसानों ने लड़के से पूछा, “भेड़िया तो कहीं है नही फिर तुमने हमे क्यों बुलाया?”, लड़का हँसने लगा उसने कहा, “मैं तो मजाक कर रहा था। भेड़िया आया ही नही था। जाओ-जाओ तुम लोग।” किसानों ने लड़के को खूब डाटा फटकारा इसके बाद वे लौट गए। एक बार लड़के ने फिर ऐसा ही मजाक किया। आसपास के किसान मदद के लिए दौड़ आए।
लड़के के इस मजाक पर उन्हें बहुत गुस्सा आया लड़के को डाट फटकार कर चले गए। कुछ समय बाद एक दिन सचमुच भेड़िया आ पहुँचा। भेड़ चरानेवाला लड़का दौड़कर पेड़ पर चढ़ गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा। पर इस बार उसकी मदद के लिए कोई नही आया। सभी ने यही सोचा कि वह बदमाश लड़का पहले की तरह मजाक कर रहा है। भेड़िए ने कई भेड़ो को मार डाला। इससे लड़के को अपने किए पर बड़ा दुख हुआ।
Moral – झूठे आदमी की सच्ची बातों पर भी लोग विश्वास नही करते।
15. गधा और मूर्ति (Class 2 Short Moral Stories in Hindi)
एक गाँव मे एक मूर्तिकार रहता था। वह देवी देवताओं की सुंदर मूर्तियाँ गढ़ा करता था। एक बार उसने भगवान की एक बहुत सुंदर मूर्ति गढ़ी। वह मूर्ति उसे ग्राहक के पास पहुचानी थी। इसलिए उसने कुम्हार से गधा किराए पर लिया। फिर उसने मूर्ति गधे पर लादी और चल पड़ा रास्ते मे जो उस मू्ति को जो देखता पल भर रूककर मूर्ति की तारीफ जरूर करता। कुछ लोग उस मूर्ति को देखते ही झुककर प्रणाम करते।
यह देख कर उस मूर्ख गधे ने सोचा कि लोग उसी की प्रशंसा कर रहे है और उसी को झुककर प्रणाम कर रहे है। वह अकड़कर सड़क के बीच खड़ा हो गया। और जोर-जोर से रेंकने लगा। मूर्तिकार ने गधे को पुचकार कर चुप करने की बहुत कोशिश की। पर गधा रेकंता ही रहा। अंत मे उस मूर्तिकार ने डंडे से उसकी खूब पिटाई की। मार खाने के बाद गधे का सारा घंमड उतर गया। उसका होश ठिकाने आया और वह फिर चुपचाप चलने लगा।
Moral – समझदार के लिए इशारा और मूखों के लिए डंडा
16. मूर्खता का फल (Hindi Stories For Class 2)
एक आदमी था। एक बार वह लकड़ी के लंबे लट्ठे को आरे से चीर रहा था। उसे इस लट्ठे के दो टुकड़े करने थे। सामने वाले पेड़ पर एक बंदर बैठा हुआ था। वह काफी देर से आदमी के काम को बड़े, ध्यान से देख रहा था। आदमी ने दोपहर का भोजन करने के लिए काम बंद कर दिया।
अब तक लट्ठे का केवल आधा ही भाग चीरा जा चुका था। इसलिए उसने लट्ठे के चिरे हुए हिस्से में एक मोटी सी गुल्ली फँसा दी। इसके बाद वह खाना खाने चला गया। आदमी के जाने के बाद बंदर पेड़ से कूदकर नीचे आया। वह कुछ देर तक इधर-उधर देखता रहा। उसकी नजर लकड़ी की गुल्ली पर गड़ी हुई थी।
वह गुल्ली के पास गया और उसे बड़ी उत्सुकता से देखने लगा। वह अपने दोनों पाँव लट्ठे के दोनों ओर लटकाकर उस पर बैठ गया। इस तरह बैठने से उसकी लंबी पूँछ लकड़ी के चिरे हुए हिस्से में लटक रही थी। उसने बड़ी उत्सुकता से गुल्ली को हिलाडुला कर देखा फिर वह उसे जोर-जोर से हिलाने लगा।
अंत में जोर लगा कर उसने गुल्ली खींच निकाली। जैसे ही गुल्ली निकली की लट्ठे के दोनों चिरे हुए हिस्से आपस में चिपक गये। बंदर की पूँछ उसमें बुरी तरह से फंस गयी। दर्द के मारे बंदर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। उसे आदमी का डर भी सता रहा था। वह पूँछ निकालने के लिए छटपटाने लगा। उसने जोर लगाकर उछलने की कोशिश की, तो उसकी पूँछ टूट गयी। अब वह बिना पूँछ का हो गया।
Moral – अनजानी चीजों से छेड़छाड़ करना खतरनाक होता है।