Chuhe Ki Kahaniyan: दोस्तों अक्सर चूहे की कहानियाँ बहुत ही मजेदार होती है। चूहे की कहानी छोटे बच्चों को बहुत ही अच्छी लगती है और इससे उन्हें शिक्षा भी मिलती है। तो आए जानते है Chuhe Ki Kahaniyan in Hindi with Moral के बारे में।
ग्रामीण चूहा और शहरी चूहा | Chuhe Ki Kahani
एक ग्रामीण चूहा था। वह खेत में रहता था। एक शहरी चूहा उसका मित्र था। वह शहर में रहता था। एक दिन ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे को खाने पर निमंत्रित किया। उसने अपने शहरी मेहमान को मीटे-मीठे बेर, मूंगफली के दाने तथा कंदमूल खाने को दिए। पर शहरी चूहे को गाँव का सादा भोजन पसंद नही आया। उसने ग्रामीण चूहे से कहा, भाई! सच्ची बात कहूँ तो तुम्हारा यह देशी खाना मुझे पसंद नही आया।
यह तो बड़ा घटिया किस्म का खाना है। इसमें कोई स्वाद भी नहीं है। तुम मेरे घर चलो, तो तुम्हें पता चलेगा कि बढ़िया खाना कैसा होता है। ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे का आमंत्रण स्वीकार कर लिया। एक दिन वह शहर गया। उसके शहरी मित्र ने उसे अजीर, खजूर, शहद, बिस्कुट, पावरोटी, मुरब्बा आदि खाने को दिया। भोजन बड़ा स्वादिष्ट था। लेकिन शहर में वे दोनो चैन से भोजन नही कर पाए।
वहाँ बार-बार एक बिल्ली आ जाती चूहों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ता था। शहरी चूहे का बिल भी बहुत छोटा और सँकरा था। कितना दुखी जीवन है तुम्हारा, भाई? ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे से कहा, मैं तो घर लौट जाता हूँ। वहाँ मैं कम से कम शांतिपूर्वक खाना तो खा सकता हूँ। खेत में अपने स्थान पर वापस लौटने पर ग्रामीण चूहे को बड़ी प्रसन्नता हुई।
Moral:- शांति और निर्भयता में ही सच्चा सुख है।
पहाड़ और चूहा | Chuhe Ki Kahaniyan
एक बार पहाड़ और चूहे में बहस छिड़ गई। दोनों अपनी-अपनी बहादुरी की डींग हाँकने लगे। पहाड़ ने कहा, “तुम बहुत ही असहाय और तुच्छ प्राणी हो!” चूहे ने जवाब दिया, मुझे पता है, मैं तुम्हारे जितना बड़ा नहीं हूँ। पर एक बात है तुम भी तो मेरे जितने छोटे नहीं हो। पहाड़ ने कहा, “इससे क्या हुआ? बड़े कद के बड़े फायदे हैं। मैं आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादलों को भी रोक सकता हूँ।”
चूहा ने कहा, “तुम आकाश के बादलों को जरुर रोक सकते हो। पर मैं अपनें नन्हे-नन्हे दाँतों से तुम्हारी जड़ में बड़े-बड़े बिल खोद डालता हूँ। लेकिन तुम मुइझे रोक नहीं सकते। बोलो, क्या रोक सकते हो? नन्हे चूहे ने अपनी चतुराई से पहाड़ का मुँह बंद कर दिया।
Moral:- छोटा हो या बड़ा, अपनी-अपनी जगह सब महत्वपूर्ण होते है।
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चूहा और बैल | Natkhat Chuha Ki Kahani
एक नन्हां-सा चूहा था। वह अपने बिल से बाहर आया। उसने देखा कि एक बड़ा बैल पेड़ की छाया में सोया हुआ है। बैल जोर-जोर से खर्रांटे भर रहा था। चूहा बैल की नाक के पास गया और मजा लेने के लिए उसने उसकी नाक में काट लिया। बैल हड़बड़ा कर जाग गया। दर्द के मारे वह जोर से डकारा। इससे घबरा कर चूहा सरपट भागा। बैल ने पूरी ताकत से उसका पीछा किया। चूहा दौडकर झटपट दीवार के छेद में घुस गया।
अब वह बैल की पहुँच से बाहर था। पर बैल ने चूहे को सजा देने की ठान ली थी। उसने गुस्से से चिल्लाकर कहा, “अबे नालायक! मैं तुझे एक ताकतबर बैल को काटने का मजा चखाऊँगा।” बैल ताकतवर था। उसने अपने सिर से दीवार पर जोर से धक्का मारा। पर दीवार भी बहुत मजबूत थी। उस पर कोई असर नही हुआ, बल्कि बैल के सिर में ही चोट लगी। यह देख कर चूहे ने बैल को चिढ़ाते हुए कहा, “अरे मूर्ख, बिना मतलब अपना सिर क्यों फोड़ रहा है? तू कितना ही बलवान क्यों न हो, पर हमेशा तेरे मन की तो नहीं हो सकती।”
बैल अब भी चूहे को बिना दंड दिए छोड़ देने को तैयार नहीं था। चूहे जैसे एक तुच्छ प्राणी ने उसका अपमान किया था। इस समय वह बहुत क्रध में था। पर धीरे-धीरे उसका जोश कम हुआ। उसे चूहे की बात सही मालूम हुई। इसलिए वह चुपचाप वहाँ से चला गया। चूहे के ये शब्द अब भी उसके कान में गूँज रहे थे तू कितना ही बलवान क्यों न हो, पर हमेशा तेरे ही मन की तो नहीं हो सकती।
Moral:- बुद्धि शक्ति से बड़ी होती है।