Akbar Birbal Stories In Hindi: हम सभी ने बचपन में अकबर बीरबल की कई कहानियाँ सुनी है। बचपन में सभी को अकबर बीरबल की कहानियाँ पढ़ने का बहुत चाव होता था और कहानी को पढ़ने में बहुत मजा भी आता था। अकबर बीरबल की कहानी बहुत ही रोचक होती थी। तो आए जानते है अकबर बीरबल की कहानी के बारे में।
1. अंधों की सूची | Akbar Birbal Stories In Hindi
एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा- बीरबल जरा बताओ तो उस दुनिया में किसकी संख्या अधिक है, जो देख सकते हैं या जो अंधे हैं? बीरबल बोले, इस समय तुरंत तो आपके इस सवाल का जबाब देना मेरे लिए संभव नहीं है लेकिन मेरा विश्वास है की अंधों की संख्या अधिक होगी बजाए देख सकने वालों की।
बादशाह ने कहा- तुम्हें अपनी बात सिद्ध करके दिखानी होगी, बीरबल ने भी खुशी-खुशी बादशाह की चुनौती स्वीकार कर ली। अगले दिन बीरबल बीच बाजार में एक बिना बुनी हुई चारपाई लेकर बैठ गए और उसे बुनना शुरू कर दिया, उसके अगल-बगल दो आदमी कागज-कलम लेकर बैठे हुए थे।
थोडी ही देर मे वहां भीड़ इकट्ठी हो गई, यह देखने के लिए कि यहां हो क्या रहा है। वहां मौजूद हर व्यक्ति ने बीरबल से एक ही सवाल पूछा- बीरबल तुम क्या कर रहे हो? बीरबल के अगल-बगल बैठे दोनों आदमी ऐसा सवाल करने वालों का नाम पूछ-पूछ कर लिखते जा रहे थे, जब बादशाह के कानों तक यह बात पहुंची कि बीच बाजार बीरबल चारपाई बुन रहे हैं, तो वो भी वहां जा पहुंचे और वही सवाल किया – यह तुम क्या कर रहे हो?
कोई जबाब दिए बिना बीरबल ने अपने बगल में बैठे एक आदमी से बादशाह अकबर का भी नाम लिख लेने को कहा, तभी बादशाह ने आदमी के हाथ में थमा कागज का पुलिंदा ले लिया उस पर लिखा था- ‘अंधे लोगों की सूची’
बादशाह ने बीरबल से पूछा इसमें मेरा नाम क्यों लिखा है?
बीरबल ने कहा ‘जहांपनाह, आपने देखा भी कि मैं चारपाई बुन रहा हूँ, फिर भी आपने सवाल पूछा कि- मैं क्या कर रहा हूँ।
बादशाह ने देखा उन लोगों की सूची में एक भी नाम नहीं था जो देख सकते थे, लेकिन अंधे लोगों की सूची का पुलिंदा बेहद भारी था।
बीरबल ने कहा- हुजूर, अब तो आप मेरी बात से सहमत हो गए होंगे की दुनिया में अंधों की तादाद ज्यादा है। बीरबल की इस चतुराई पर बादशाह मंद-मंद मुस्करा दिए।
2. ऊंट की गर्दन | Akbar Birbal Story in Hindi
एक दिन महाराजा अकबर यमुना नदी के किनारे शाम की सैर पर निकले। बीरबल उनके साथ था। बादशाह अकबर ने वहां एक ऊंट को घूमते देखा। बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा- बीरबल बताओ, ऊंट की गर्दन मुड़ी क्यों होती है? बीरबल ने सोचा महाराज को उनका वादा याद दिलाने का यह सही समय है।
उन्होंने जवाब दिया- महाराज यह ऊंट किसी से वादा करके भूल गया है, जिसके कारण ऊंट की गर्दन मुड गई है। महाराज, कहते हैं कि जो भी अपना वादा भूल जाता है तो भगवान उनकी गर्दन ऊंट की तरह मोड़ देता है। यह एक तरह की सजा है।
तभी बादशाह अकबर को ध्यान आता है कि वो भी तो बीरबल से किया अपना एक वादा भूल गए हैं। उन्होंने बीरबल से जल्दी से महल में चलने के लिए कहा और महल में पहुंचते ही सबसे पहले बीरबल को पुरस्कार की धनराशी उसे सौंप दी और बोले मेरी गर्दन तो ऊंट की तरह नहीं मुडेगी बीरबल।
और यह कहकर बादशाह अकबर अपनी हंसी नहीं रोक पाए। और इस तरह बीरबल ने अपनी चतुराई से बिना मांगे अपना पुरस्कार राजा से प्राप्त किया।
3. रेत और चीनी | अकबर बीरबल की कहानी
बादशाह अकबर के दरबार की कार्यवाही चल रही थे, तभी एक दरबारी हाथ में शीशे का एक मर्तबान लिए वहां आया। बादशाह ने पूछा- ‘क्या है इस मर्तबान में?’
दरबारी बोला- ‘इसमें रेत और चीनी का मिश्रण है।’ ‘वह किसलिए’ – फिर पूछा बादशाह अकबर ने।
‘माफी चाहता हूँ हुजूर’ – दरबारी बोला। ‘हम बीरबल की काबिलियत को परखना चाहते हैं, हम चाहते हैं की वह रेत से चीनी का दाना-दाना अलग कर दे।’
बादशाह अब बीरबल से मुखातिब हुए, – ‘देख लो बीरबल, रोज ही तुम्हारे सामने एक नई समस्या रख दी जाती है, अब तुम्हे बिना पानी में घोले इस रेत में से चीनी को अलग करना है।’
‘कोई समस्या नहीं जहांपनाह’ – बीरबल बोले। यह तो मेरे बाएं हाथ का काम है, कहकर बीरबल ने मर्तबान उठाया और चल दिया दरबार से बाहर!
बीरबल बाग में पहुंचकर रुका और मर्तबान में भरा सारा मिश्रण आम के एक बड़े पेड़ के चारों और बिखेर दिया- ‘यह तुम क्या कर रहे हो?’ – एक दरबारी ने पूछा
बीरबल बोले, – ‘यह तुम्हे कल पता चलेगा।’
अगले दिन फिर वे सभी उस आम के पेड़ के नीचे जा पहुंचे, वहां अब केवल रेत पड़ी थी, चीनी के सारे दाने चीटियां बटोर कर अपने बिलों में पहुंचा चुकी थीं, कुछ चीटियां तो अभी भी चीनी के दाने घसीट कर ले जाती दिखाई दे रही थीं!
‘लेकिन सारी चीनी कहां चली गई?’ दरबारी ने पूछा
‘रेत से अलग हो गई’ – बीरबल ने कहा।
सभी जोर से हंस पड़े, बादशाह ने दरबारी से कहा कि अब तुम्हें चीनी चाहिए तो चीटियों के बिल में घुसों।’ सभी ने जोर का ठहाका लगाया और बीरबल की अक्ल की दाद दी।
4. हरा घोड़ा | अकबर बीरबल की कहानियाँ
एक दिन बादशाह अकबर घोड़े पर बैठकर शाही बाग में घूमने गए। साथ में बीरबल भी था। चारों ओर हरे-भरे वृक्ष और हरी-हरी घास देखकर बादशाह अकबर को बहुत आनंद आया। उन्हें लगा कि बगीचे में सैर करने के लिए तो घोड़ा भी हरे रंग का ही होना चाहिए।
उन्होंने बीरबल से कहा, ‘बीरबल मुझे हरे रंग का घोड़ा चाहिए। तुम मुझे सात दिन में हरे रंग का घोड़ा ला दो। यदि तुम हरे रंग का घोड़ा न ला सके तो हमें अपनी शक्ल मत दिखाना।’
हरे रंग का घोड़ा तो होता ही नहीं है। बादशाह अकबर और बीरबल दोनों को यह मालूम था। लेकिन बादशाह अकबर को तो बीरबल की परीक्षा लेनी थी।
दरअसल, इस प्रकार के अटपटे सवाल करके वे चाहते थे कि बीरबल अपनी हार स्वीकार कर लें और कहें कि जहांपनाह मैं हार गया, मगर बीरबल भी अपने जैसे एक ही थे। बीरबल के हर सवाल का सटीक उत्तर देते थे कि बादशाह अकबर को मुंह की खानी पड़ती थी।
बीरबल हरे रंग के छोड़ की खोज के बहाने सात दिन तक इधर-उधर घूमते रहे। आठवें दिन वे दरबार में हाजिर हुए और बादशाह से बोले, ‘जहांपनाह! मुझे हरे रंग का घोड़ा मिल गया है।’ बादशाह को आश्चर्य हुआ। उन्होंने कहा, ‘जल्दी बताओ, कहां है हरा घोड़ा?
दरबार में उपस्थित होकर बीरबल ने बादशाह के सामने क्या शर्त रखी…
बीरबल ने कहा, ‘जहांपनाह! घोड़ा तो आपको मिल जाएगा, मैंने बड़ी मुश्किल से उसे खोजा है, मगर उसके मालिक ने दो शर्त रखी हैं।
‘पहली शर्त तो यह है कि घोड़ा लेने के लिए आपको स्वयं जाना होगा।
‘यह तो बड़ी आसान शर्त है। दूसरी शर्त क्या है ?
‘घोड़ा खास रंग का है, इसलिए उसे लाने का दिन भी खास ही होगा। उसका मालिक कहता है कि सप्ताह के सात दिनों के अलावा किसी भी दिन आकर उसे ले जाओ। बादशाह अकबर बीरबल का मुंह देखते रह गए।
बीरबल ने हंसते हुए कहा, ‘जहांपनाह! हरे रंग का घोड़ा लाना हो, तो उसकी शर्तें भी माननी ही पड़ेगी।
बादशाह अकबर खिलखिला कर हंस पड़े। बीरबल की चतुराई से वह खुश हुए। समझ गए कि बीरबल को मूर्ख बनाना सरल नहीं है।
5. कुंए का पानी | Akbar Birbal Story
एक बार एक आदमी ने अपना कुंआ एक किसान को बेच दिया। अगले दिन जब किसान ने कुंए से पानी खिंचना शुरू किया तो उस व्यक्ति ने किसान से पानी लेने के लिए मना किया। वह बोला, ‘मैंने तुम्हें केवल कुंआ बेचा है ना कि कुंए का पानी।’
किसान बहुत दुखी हुआ और उसने बादशाह अकबर के दरबार में गुहार लगाई। उसने दरबार में सबकुछ बताया और बादशाह अकबर से इंसाफ मांगा। बादशाह अकबर ने यह समस्या बीरबल को हल करने के लिए दी। बीरबल ने उस व्यक्ति को बुलाया जिसने कुंआ किसान को बेचा था।
बीरबल ने पूछा, ‘तुम किसान को कुंए से पानी क्यों नहीं लेने देते? आखिर तुमने कुंआ किसान को बेचा है।’ उस व्यक्ति ने जवाब दिया, ‘बीरबल, मैंने किसान को कुंआ बेचा है ना कि कुंए का पानी। किसान का पानी पर कोई अधिकार नहीं है।’
बीरबल मुस्कुराया और बोला, ‘बहुत खूब, लेकिन देखो, क्योंकि तुमने कुंआ किसान को बेच दिया है, और तुम कहते हो कि पानी तुम्हारा है, तो तुम्हे अपना पानी किसान के कुंए में रखने का कोई अधिकार नहीं है। अब या तो अपना पानी किसान के कुंए से निकाल लो या फिर किसान को किराया दो।’
वह आदमी समझ गया, कि बीरबल के सामने उसकी दाल नहीं गलने वाली और वह माफी मांग कर वहां से खिसक लिया।
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6. गधा कौन | Akbar Birbal Ki Kahani
एक बार बादशाह अकबर अपने दो बेटों के साथ नदी के किनारे गए। साथ में बीरबल भी थे। दोनों बेटों ने अपने कपडे़ उतारे और नदी में नहाने उतर गए। बीरबल को उन्होंने अपने कपड़ों की रखवाली करने के लिए कहा।
बीरबल नदी किनारे बैठ कर उन दोनों के आने का इंतजार करने लगे। कपडे़ उन्होंने अपने कंधों पर रखे हुए थे। बीरबल को इस अवस्था में खडे़ देख बादशाह अकबर के मन में शरारत सूझी। उन्होंने बीरबल को कहा, ‘बीरबल तुम्हें देख कर ऐसा लग रह है जैसे धोबी का गधा कपडे़ लाद कर खडा़ हो।’
बीरबल ने झट से जवाब दिया, ‘महाराज धोबी के गधे के पास केवल एक गधे का ही बोझ होता है, किंतु मेरे पास तो तीन-तीन गधों का बोझ है।’ बीरबल के मुंह से जवाब सुनकर बादशाह अकबर निरूत्तर हो गए।
7. पैसे की थैली किसकी | Akbar Birbal Ki Kahani Hindi
दरबार लगा हुआ था। बादशाह अकबर राज-काज देख रहे थे। तभी दरबान ने सूचना दी कि दो व्यक्ति अपने झगड़े का निपटारा करवाने के लिए आना चाहते हैं।बादशाह ने दोनों को बुलवा लिया। दोनों दरबार में आ गए और बादशाह के सामने झुककर खड़े हो गए।
‘कहो क्या समस्या है तुम्हारी?’ बादशाह ने पूछा।
‘हुजूर मेरा नाम काशी है, मैं तेली हूँ और तेल बेचने का धंधा करता हूँ और हुजूर यह कसाई है।
इसने मेरी दुकान पर आकर तेल खरीदा और साथ में मेरी पैसों की भरी थैली भी ले गया। जब मैंने इसे पकड़ा और अपनी थैली मांगी तो यह उसे अपनी बताने लगा, हुजूर अब आप ही न्याय करें।’
‘जरूर न्याय होगा, अब तुम कहो तुम्हें क्या कहना है?’ बादशाह ने कसाई से कहा। ‘हुजूर मेरा नाम रमजान है और मैं कसाई हूँ, हुजूर, जब मैंने अपनी दुकान पर आज मांस की बिक्री के पैसे गिनकर थैली जैसे ही उठाई, यह तेली आ गया और मुझसे यह थैली छीन ली। अब उस पर अपना हक जमा रहा है, हुजूर, मुझ गरीब के पैसे वापस दिला दीजिए।’
दोनों की बातें सुनकर बादशाह सोच में पड़ गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह किसके हाथ फैसला दें। उन्होंने बीरबल से फैसला करने को कहा।
बीरबल ने उससे पैसों की थैली ले ली और दोनों को कुछ देर के लिए बाहर भेज दिया। बीरबल ने सेवक से एक कटोरे में पानी मंगवाया और उस थैली में से कुछ सिक्के निकालकर पानी में डाले और पानी को गौर से देखा। फिर बादशाह से कहा- ‘हुजूर, इस पानी में सिक्के डालने से तेल जरा-सा भी अंश पानी में नहीं उभार रहा है। यदि यह सिक्के तेली के होते तो यकीनन उन पर सिक्कों पर तेल लगा होता और वह तेल पानी में भी दिखाई देता।’
बादशाह ने भी पानी में सिक्के डाले, पानी को गौर से देखा और फिर बीरबल की बात से सहमत हो गए। बीरबल ने उन दोनों को दरबार में बुलाया और कहा- ‘मुझे पता चल गया है कि यह थैली किसकी है। काशी, तुम झूठ बोल रहे हो, यह थैली रमजान कसाई की है।’
‘हुजूर यह थैली मेरी है।’ काशी एक बार फिर बोला।
बीरबल ने सिक्के डले पानी वाला कटोरा उसे दिखाते हुए कहा- ‘यदि यह थैली तुम्हारी है तो इन सिक्कों पर कुछ-न-कुछ तेल अवश्य होना चाहिए, पर तुम भी देख लो। तेल तो अंश मात्र भी नजर नहीं आ रहा है।’
काशी चुप हो गया। बीरबल ने रमजान कसाई को उसकी थैली दे दी और काशी को कारागार में डलवा दिया।
8. राज्य में कौए कितने हैं | Best Akbar Birbal Ki Kahani
एक दिन बादशाह अकबर अपने मंत्री बीरबल के साथ अपने महल के बाग में घूम रहे थे। बादशाह अकबर बागों में उड़ते कौओं को देखकर कुछ सोचने लगे और बीरबल से पूछा, ‘क्यों बीरबल, हमारे राज्य में कितने कौए होंगे?’
बीरबल ने कुछ देर अंगुलियों पर कुछ हिसाब लगाया और बोले, ‘हुजूर, हमारे राज्य में कुल मिलाकर 95463 कौए हैं।’
तुम इतना विश्वास से कैसे कह सकते हो? हुजर, ‘आप खुद गिन लीजिए, बीरबल बोले।’ बादशाह अकबर को कुछ इसी प्रकार के जवाब का अंदेशा था।
उन्होंने पूछा, ‘बीरबल, यदि इससे कम हुए तो?’
तो इसका मतलब है कि कुछ कौए अपने रिश्तेदारों से मिलने दूसरे राज्यों में गए हैं और यदि ज्यादा हुए तो? तो इसका मतलब यह हैं हु़जूर कि कुछ कौए अपने रिश्तेदारों से मिलने हमारे राज्य में आए हैं – बीरबल ने मुस्कुरा कर जवाब दिया।
बादशाह अकबर एक बार फिर मुस्कुरा कर रह गए।
9. जितनी लंबी चादर उतने पैर पसारो | Interesting Akbar Birbal Ki Kahani
बादशाह अकबर के दरबारियों को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि बादशाह हमेशा बीरबल को ही बुद्धिमान बताते हैं, औरों को नहीं। एक दिन बादशाह ने अपने सभी दरबारियों को दरबार में बुलाया और दो हाथ लंबी दो हाथ चौड़ी चादर देते हुए कहा – ‘इस चादर से तुम लोग मुझे सिर से लेकर पैर तक ढंक दो तो मैं तुम्हें बुद्धिमान मान लूंगा।’
सभी दरबारियों ने कोशिश की किंतु उस चादर से बादशाह को पूरा न ढंक सके, सिर छिपाते तो पैर निकल आते, पैर छिपाते तो सिर चादर से बाहर आ जाता। आड़ा-तिरछा लंबा-चौड़ा हर तरह से सभी ने कोशिश की किंतु सफल न हो सकें।
अब बादशाह ने बीरबल को बुलाया और वही चादर देते हुए उन्हें ढंकने को कहा। जब बादशाह लेटे तो बीरबल ने बादशाह के फैले हुए पैरों को सिकौड़ लेने को कहा।
बादशाह ने पैर सिकौड़े और बीरबल ने सिर से पांव तक चादर से ढंक दिया। अन्य दरबारी आश्चर्य से बीरबल की ओर देख रहे थे। तब बीरबल ने कहा – ‘जितनी लंबी चादर उतने ही पैर पसारो।’
10. खाने के बाद लेटना | Akbar Birbal Ki Kahani in Hindi
किसी समय बीरबल ने बादशाह अकबर को यह कहावत सुनाई थी कि खाकर लेट जा और मारकर भाग जा- यह सयाने लोगों की पहचान है। जो लोग ऐसा करते हैं, जिंदगी में उन्हें किसी भी प्रकार का दुख नहीं उठाना पड़ता।
एक दिन बादशाह अकबर को अचानक ही बीरबल की यह कहावत याद आ गई। दोपहर का समय था। उन्होंने सोचा, बीरबल अवश्य ही खाना खाने के बाद लेटता होगा। आज हम उसकी इस बात को गलत सिद्ध कर देंगे। उन्होंने एक नौकर को अपने पास बुलाकर पूरी बात समझाई और बीरबल के पास भेज दिया।
नौकर ने बादशाह अकबर का आदेश बीरबल को सुना दिया। बीरबल बुद्धिमान तो थे ही, उन्होंने समझ लिया कि बादशाह ने उसे क्यों तुरंत आने के लिए कहा है। इसलिए बीरबल ने भोजन करके नौकर से कहा- ‘ठहरो, मैं कपड़े बदल कर तुम्हारे साथ ही चल रहा हूँ।’
उस दिन बीरबल ने पहनने के लिए चुस्त पायजामा चुना। पाजामे को पहनने के लिए वह कुछ देर के लिए बिस्तर पर लेट गए। पाजामा पहनने के बहाने वे काफी देर बिस्तर पर लेटे रहे। फिर नौकर के साथ चल दिए।
जब बीरबल दरबार में पहुंचे तो बादशाह अकबर ने कहा- ‘कहो बीरबल, खाना खाने के बाद आज भी लेटे या नहीं?’ ‘बिल्कुल लेटा था जहांपनाह।’
बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर ने क्रोधित स्वर में कहा- ‘इसका मतलब, तुमने हमारे हुक्म की अवहेलना की है। हम तुम्हें हुक्म उदूली करने की सजा देंगे। जब हमने खाना खाकर तुरंत बुलाया था, फिर तुम लेटे क्यों?
बादशाह सलामत! मैंने आपके हुक्म की अवहेलना कहां की है। मैं तो खाना खाने के बाद कपड़े पहनकर सीधा आपके पास ही आ रहा हूँ। आप तो पैगाम ले जाने वाले से पूछ सकते हैं। अब यह अलग बात है कि यह चुस्त पायजामा पहनने के लिए ही मुझे लेटना पड़ा था।’ बीरबल ने सहज भाव से उत्तर दिया।
बादशाह अकबर बीरबल की चतुरता को समझ गए और मुस्करा पड़े।
निष्कर्ष
मैं आशा करता हूँ आपको अकबर बीरबल की ये 10 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ (Akbar Birbal Stories In Hindi) पसंद आई होगी। अगर आपको अकबर बीरबल की यह कहानियाँ पसंद आई हो तो इन्हें शेयर जरूर कीजियेगा।