आज हम इस आर्टिकल में बहुत ही प्रसिद्ध शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी (Mirza Ghalib Shayari in Hindi 2 Lines) के बारे में जानेंगे। वह एक कवि और शायर थे। उनकी Shayari लोगो को बहुत पसंद आती थी। आए जानते है Mirza Ghalib Shayari के बारे में।
Mirza Ghalib Shayari in Hindi 2 Lines | मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी
1. हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
2. हर एक बात पे कहते हो तुम कि ‘तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है
3. ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाले यार होता
अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता
4. सबने पहना था बड़े शौक से कागज़ का लिबास
जिस कदर लोग थे बारिश में नहाने वाले
5. सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं
6. दुःख दे कर सवाल करते हो
तुम भी ग़ालिब कमाल करते हो
7. कोई , दिन , गैर ज़िंदगानी और है
अपने जी में हमने ठानी और है
8. हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे
मेरी रफ़्तार से भागे है बयाबाँ मुझसे
9. शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया
तमाशा-ए बयक-कफ़ बुरदन-ए सद दिल पसंद आया
10. इश्क़ मुझको नहीं, वहशत ही सही
मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही
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Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi
11. दर्द हो दिल में तो दवा कीजे
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजे
12. दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आये क्यों
रोएंगे हम हज़ार बार कोई हमें सताये क्यों
13. आज फिर इस दिल में बेक़रारी है
सीना रोए ज़ख्म-ऐ-कारी है
14. सादगी पर उस के मर जाने की हसरत दिल में है
बस नहीं चलता की फिर खंजर काफ-ऐ-क़ातिल में है
15. नुक्तह-चीं है ग़म-ए दिल उस को सुनाए न बने
क्या बने बात जहां बात बनाए न बने
16. दिया है दिल अगर उस को, बशर है क्या कहिये
हुआ रक़ीब तो हो, नामाबर है, क्या कहिये
17. दिल-ए नादां तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
18. हाँ दिल-ए-दर्दमंद ज़म-ज़मा साज़
क्यूँ न खोले दर-ए-ख़ज़िना-ए-राज़
19. गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग
यानी बग़ैर-ए-यक-दिल-ए-बे-मुद्दआ न माँग
20. हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी
दिल जोश-ए-गिर्या में है डूबी हुई असामी
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Mirza Ghalib Shayari in Hindi
21. ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते, यही इंतजार होता
22. आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है
ताक़ते-बेदादे-इन्तज़ार नहीं है
23. दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या
ज़ख़्म के भरते तलक नाख़ुन न बढ़ जावेंगे क्या
24. कहते तो हो तुम सब कि बुत-ए-ग़ालिया-मू आए
यक मरतबा घबरा के कहो कोई कि वो आए
25. देख कर दर-पर्दा गर्म-ए-दामन-अफ़्शानी मुझे
कर गई वाबस्ता-ए-तन मेरी उर्यानी मुझे
26. फिर कुछ इस दिल् को बेक़रारी है
सीना ज़ोया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है
27. हरीफ़-ए-मतलब-ए-मुश्किल नहीं फ़ुसून-ए-नियाज़
दुआ क़ुबूल हो या रब कि उम्र-ए-ख़िज़्र दराज़
28. है बज़्म-ए-बुताँ में सुख़न आज़ुर्दा-लबों से
तंग आए हैं हम ऐसे ख़ुशामद-तलबों से
29. क्या तंग हम सितमज़दगां का जहान है
जिस में कि एक बैज़ा-ए-मोर आसमान है
30. आईना क्यूँ न दूँ के तमाशा कहें जिसे
ऐसा कहाँ से लाऊँ के तुझसा कहें जिसे
Mirza Ghalib Shayari
31. आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ के सर होने तक
32. रोने से और् इश्क़ में बेबाक हो गए
धोए गए हम ऐसे कि बस पाक हो गए
33. लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं
अच्छा अगर न हो तो मसीहा का क्या इलाज
34. रहा गर कोई ता क़यामत सलामत
फिर इक रोज़ मरना है हज़रत सलामत
35. तू तो वो जालिम है जो दिल में रह कर भी मेरा न बन सका, ग़ालिब
और दिल वो काफिर, जो मुझ में रह कर भी तेरा हो गया
36. आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है
ताक़ते-बेदादे-इन्तज़ार नहीं है
37. सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर
तग़य्युर आब-ए-बर-जा-मांदा का पाता है रंग आख़िर
38. जब तक दहान-ए-ज़ख़्म न पैदा करे कोई
मुश्किल कि तुझ से राह-ए-सुख़न वा करे कोई
39. कोह के हों बार-ए-ख़ातिर गर सदा हो जाइए
बे-तकल्लुफ़ ऐ शरार-ए-जस्ता क्या हो जाइए
40. हुज़ूर-ए-शाह में अहल-ए सुख़न की आज़माइश है
चमन में ख़ुश-नवायान-ए-चमन की आज़माइश है
Mirza Ghalib Shayari in Hindi 2 Lines on Life
41. रफ़्तार-ए-उम्र क़त-ए-रह-ए-इज़्तिराब है
इस साल के हिसाब को बर्क़ आफ़्ताब है
42. मिलती है ख़ू-ए-यार से नार इल्तेहाब में
काफ़िर हूँ गर न मिलती हो राहत अज़ाब में
43. यूं हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं
कभी सबा को, कभी नामाबर को देखते हैं
44. फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तश्ना-ए-फ़रियाद आया
45. मुद्दत हुई है यार को मिह्मां किये हुए
जोश-ए क़दह से बज़्म चिराग़ां किये हुए
46. हुस्न-ए-माह गरचे बा-हँगाम-ए-कमाल अच्छा है,
उससे मेरा मह-ए-ख़ुरशीद जमाल अच्छा है
47. चश्म-ए-ख़ूबाँ ख़ामुशी में भी नवा-पर्दाज़ है
सुर्मा तो कहवे कि दूद-ए-शोला-ए-आवाज़ है
48. नक़्श फ़र्यादी है किस की शोख़ी-ए तह्रीर का
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए तस्वीर का
49. वाँ उस को हौल-ए-दिल है तो याँ मैं हूँ शर्म-सार
यानी ये मेरी आह की तासीर से न हो
अपने को देखता नहीं ज़ौक़-ए-सितम को देख
आईना ता-कि दीदा-ए-नख़चीरर से न हो
50. इस नज़ाकत का बुरा हो , वो भले हैं तो क्या
हाथ आएँ तो उन्हें हाथ लगाए न बने
कह सके कौन के यह जलवागरी किस की है
पर्दा छोड़ा है वो उस ने के उठाये न बने