सोमवार व्रत विधि, कथा, आरती | Somvar Vrat Katha in Hindi

Somvar Vrat Katha in Hindi: आज हम इस आर्टिकल में सोमवार के व्रत की पूर्ण विधि, कथा, आरती के बारे में जानेंगे।

सोमवार के व्रत की विधि | Somvar Vrat Katha Vidhi

सोलह सोमवार व्रत में अनाज या फल का कोई नियम नहीं होता है। यह सोमवार का व्रत तीसरे पहर तक होता है। इस व्रत में भोजन केवल एक ही बार किया जाता है। इसमें हमें गौरी-शंकर की पूजा करनी चाहिए।

सोमवार व्रत कथा | Somvar Vrat Katha in Hindi

एक नगर में एक सेठ रहता था। उसे धन ऐश्वर्य की कोई कमी न थी। फिर भी वह दुखी था क्योंकि उसके कोई पुत्र नहीं था। पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार को व्रत रखता था तथा पूरी श्रद्धा के साथ शिवालय में जाकर भगवान गौरी-शंकर की पूजा करता था। उसके भक्तिभाव से दयामयी पार्वती जी द्रवित हो गई और एक दिन अच्छा अवसर देखकर उन्होंने शंकर जी से विनती की, “स्वामी ! यह नगर सेठ आपका परमभक्त है। नियमित रूप से आपका व्रत रखता है। फिर भी पुत्र के अभाव से पीड़ित है। कृपया इसकी कामना पूरी करें।

दयालू पार्वती की ऐसी इच्छा को सुनकर भगवान शंकर ने कहा, पार्वती ! यह संसार, कर्मभूमि है। इसमें जो जैसा करता है, वह वैसा ही भरता है। इस साहूकार के भाग्य में पुत्र सुख नहीं है। शंकर के इन्कार से पार्वती जी निराश नहीं हुई । उन्होंने शंकर जी से तब तक आग्रह करना जारी रखा। जब तक कि वे उस साहूकार को पुत्र सुख देने को तैयार नहीं हो गये। 

भगवान शंकर ने पार्वती से कहा तुम्हारी इच्छा है इसलिए मैं इसे एक पुत्र प्रदान करता हूँ। लेकिन उसकी आयु केवल 12 वर्ष होगी। संयोग से नगर सेठ गौरी-शंकर संवाद सुन रहा था। समय आने पर नगर सेठ को सर्व सुख सम्पन्न पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। सब ओर खुशियां मनाई गई। नगर सेठ को बधाइयाँ दी गई। लेकिन नगर सेठ की उदासी में कोई कमी नहीं आई, क्योंकि वह जानता था कि यह पुत्र केवल 12 वर्ष के लिए प्राप्त हुआ है । उसके बाद कालबली इसे मुझसे छीन लेगा। इतने पर भी सेठ ने सोमवार का व्रत और गौरी-शंकर का पूजन हवन यथाविधि पहले की तरह ही जारी रखा। 

जब बालक ग्यारह वर्ष का हो गया। तो वह पूर्ण युवा जैसा लगने लगा, फलतः सभी चाहने लगे कि उसका विवाह कर दिया जाए। नगर सेठानी का भी यही आग्रह था। किन्तु नगर सेठ पुत्र के विवाह को तैयार नहीं हुआ। उसने अपने साले को बुलवा कर आदेशा दिया कि वह पर्याप्त धन लेकर पुत्र सहित काशी के लिये कूच करे और रास्ते में भजन तथा दान-दक्षिणा देता हुआ काशी पहुँचकर सर्व विद्या में पूर्ण बनाने का प्रयास करे। 

मामा भान्जे काशाी के लिए रवाना हुए। हर पड़ाव पर वे यज्ञ करते, ब्राह्मणों को भोजन कराते और दान-दक्षिणा देकर दीन-हीनों को सन्तुष्ट करते इसी प्रकार वह काशी की और बढ़ रहे थे कि एक नगर में उनका पड़ाव पड़ा था और उस दिन उस नगर के राजा की कन्या का विवाह था बारात आ चुकी थी। किन्तु वर पक्ष वाले भयभीत थे, क्योंकि उनका वर एक आँख से काना था। 

उन्हें एक सुन्दर युवक की आवश्यकता थी। गुप्तचरों से राजा को जब सेठ के पुत्र के रूप गुण की चर्चा का पता लगा। तो उन्होंने मामा भान्जे को अपने पास बुलाकर अपना उद्देश्य समझाते हुए यकीन दिलाया कि विवाह के पूरा होने तक लड़का यदि दूल्हा बना रहेगा। तो वे उन दोनों को बहुत धन देंगे और उनका अहसान भी मानेंगे। 

नगर सेठ का लड़का इस बात के लिए राजी हो गया। कन्या पक्ष के लोगों ने राजा की पुत्री के भाग्य की बहुत सराहना की कि उसे इतना सुन्दर वर मिला। जब सेठ का पुत्र विदा होने लगा तो उसने राजा की पुत्री की चुनरी पर लिख दिया कि तुम्हारा विवाह मेरे साथ हुआ है। मैं राजा का लड़का न होकर नगर सेठ का पुत्र हूँ और विद्याध्ययन के लिये काशी जा रहा हूँ। 

राजा का लड़का तो काना है। राजा की लड़की ने अपनी चुनरी पर कुछ लिखा हुआ देखा। तो उसे पढ़ा और विदा के समय काने लड़केे साथ जाने से इंकार कर दिया फलतः राजा की बारात खाली हाथ लौट गई। नगर सेठ का पुत्र काशी जाकर पूरी श्रद्धा और भक्ति से विद्याध्यन में जुट गया। उसके मामा ने यज्ञ और दान-पुण्य का क्रम जारी रखा। जिस दिन लड़का पूरे बारह वर्ष का हो गया। उस दिन भी और दिनों की तरह यज्ञादि हो रहे थे। 

तभी उसकी तबीयत खराब हुई। वह भवन के अंदर ही कमरे में आकर लेट गया। थोड़ी देर में मामा पूजन करने को उसे लेने आया तो उसे मरा देखा। तो उसे अपनी छाती पीटी और वह बेहाश हो गया। जब उसे होश आया तो उसने सोचा कि यदि मैं रोया चिल्लाया तो पूजन में विघ्न पड़ेगा। ब्राह्मण लोग भोजन त्याग कर चल देंगे। अतः उसने धैर्य धारण कर समस्त कार्य निपटाया और उसके बाद जो उसने रोना-पीटना शुरु किया। तो उसे सुनकर सभी के हृदय विदीर्ण होने लगे। 

सौभाग्य से उसी समय, उसी रास्ते से गौरी-शंकर जा रहे थे। गौरी के कानों में वह करूण क्रन्दन पहुँचा। तो उनका वात्सल्य से पूर्ण हृदय करूणा से भर गया। सही स्थिति का ज्ञान होने पर उन्होंने शंकर भगवान से आग्रह किया कि वे बालक को पुनः जीवन प्रदान कर दें। शंकर भगवान को पार्वती जी की प्रार्थना स्वीकार करनी पड़ी। नगर सेठ का इकलौता लाल पुनः जीवित हो गया। शिक्षा समाप्त हो चुकी थी। 

मामा भान्जे दोनों वापिस अपने नगर के लिए रवाना हुए। रास्ते में पहले की तरह यज्ञ करते, दान-दक्षिणा देते उसी नगर में पहुँचे जहाँ राजा की कन्या के साथ लड़के का विवाह हुआ था। तो ससुर ने लड़के को पहचान लिया। अत्यन्त आदर सत्कार कें साथ उसे महल में ले गया। शुभ मुहूर्त निकालकर कन्या और जामाता को पूर्ण दहेज के साथ विदा किया। 

नगर सेठ का लड़का पत्नी के साथ जब अपने घर पहुँचा। तो पिता को यकीन ही नही आया। लड़के के माता-पिता अपनी हवेली की छत पर चढ़े बैठे थे। उनकी प्रतिज्ञा थी कि वहां से तभी उतरेंगे। जब उनका लड़का स्वयं अपने हाथ से उन्हें नीचे उतारेगा, वरना ऊपर से ही छलांग लगााकर आत्महत्या कर लेंगे। पुत्र अपनी पत्नी के साथ हवेली की छत पर गया। जाकर माँ बाप के सपत्नीक चरण स्पर्श किए। पुत्र और पुत्र वधु को देखकर नगर सेठ और सेठानी को अत्यन्त हर्ष हुआ। सबने मिलकर उत्सव मनाया।

सोमवार व्रत कथा आरती | Somvar Vrat Katha Aarti

आरती करत जनक कर जोरे । बडे़ भाग्य रामजी घर आए मोरे ।।
जीत स्वयंबर धनुष चढ़ाये । सब भूपन के गर्व मिटाए ।।
तोरि पिनाक किए दुइ खण्डा । रघुकुल हर्ष रावण भय शंका ।।
आई हैं सिय संग सहेली । हरैष निरख वरमाला मेली ।।
गज मोतियन के चैक पुराए । कनक कलश और भरि मंगल गाए ।।
कंचन थाल कपूर की बाती । सुर नर मुनि जन आये बाराती ।।
फिर भांवरि बाजा बजै । सिया सहित रघुबीर विराजै ।।
धनि-धनि राम लखन दोऊ भाई । धनि धनि दशरथ कौशल्या माई ।।
राजा दशरथ जनक विदेही । भरत शत्रुधन परम सनेही ।।
मिथलापुर में बजत बधाई । दास मुरारी स्वामी आरती गाई ।।

सोमवार व्रत के फायदे | Somvar Vrat Ke Fayde

सोमवार व्रत करने के फायदे:

  1. इस व्रत को करने से पुत्र की प्राप्ति होती है।
  2. इससे धन की कमी भी दूर होती है और व्यक्ति धनवान हो जाता है।
  3. इससे मनोकामना भी पूरी होती है।

FAQs About Somvar Vrat Katha

Q1. सोमवार के व्रत में कौन सा फल खाना चाहिए?

इसमें हम कोई अन्न या फल खा सकते है। जैसे की केला, सेब आदि।

Q2. क्या सोमवार व्रत में मिठाई खा सकते है?

हाँ

Q3. क्या सोमवार व्रत में नारियल खा सकते है?

हाँ

Q4. सोमवार व्रत की पूजा कब करनी चाहिए?

सुबह

Q5. सोमवार व्रत में व्रत खोले बिना अगर कुछ खा ले तो क्या व्रत लगता है?

नहीं 

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1 thought on “सोमवार व्रत विधि, कथा, आरती | Somvar Vrat Katha in Hindi”

  1. बहुत ही सुंदर ढंग से विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है जो कि बहुत ही ज्ञानवर्धक है।

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