Top 40+ मुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार | Munshi Premchand Quotes in Hindi

मुंशी प्रेमचंद भारत के प्रसिद्ध लेखकों में से एक थे। उनकी कहानियों की रचना काफी प्रसिद्धि थी। जैसे दो बैलों की कथा, कफ़न आदि बहुत लोकप्रिय थी। वे एक सफल लेखक और देशभक्त नागरिक थे। आज हम इस आर्टिकल में उनके अनमोल वचनों के (Munshi Premchand Quotes in Hindi) बारे में जानेंगे।

Munshi Premchand Quotes in Hindi

Quote 1. जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं।

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Quote 2. कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता। कर्तव्य पालन में ही चित्त की शांति है। 

Quote 3. अच्‍छे कामों की सिद्धि में बड़ी देर लगती है, पर बुरे कामों की सिद्धि में यह बात नहीं। 

Quote 4. आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है। 

Quote 5. सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं।

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Quote 6. देश का उद्धार विलासियों द्वारा नहीं हो सकता। उसके लिए सच्चा त्यागी होना आवश्यक है। 

Quote 7. कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। 

Quote 8. न्याय और नीति लक्ष्मी के खिलौने हैं, वह जैसे चाहती है नचाती है। 

Quote 9. जीवन की दुर्घटनाओं में अक्‍सर बड़े महत्‍व के नैतिक पहलू छिपे हुए होते हैं। 

Quote 10. संसार के सारे नाते स्‍नेह के नाते है। जहाँ स्‍नेह नहीं वहाँ कुछ नहीं है।

Life Munshi Premchand Quotes in Hindi

Quote 11. महान व्यक्ति महत्वाकांक्षा के प्रेम से बहुत अधिक आकर्षित होते हैं।

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Quote 12. अतीत चाहे जैसा हो, उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं। 

Quote 13. अपनी भूल अपने ही हाथों से सुधर जाए। तो यह उससे कहीं अच्छा है कि कोई दूसरा उसे सुधारे।

Quote 14. मासिक वेतन पूरनमासी का चाँद है। जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। 

Quote 15. किसी किश्ती पर अगर फर्ज का मल्लाह न हो। तो फिर उसके लिए दरिया में डूब जाने के सिवाय और कोई चारा नहीं।

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Quote 16. कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सद्व्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुबाब दिखाने से नहीं।

Quote 17. चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुँचा सकता। जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझ कर पी न जाएँ। 

Quote 18. क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता। वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है। 

Quote 19. ऐश की भूख रोटियों से कभी नहीं मिटती। उसके लिए दुनिया के एक से एक उम्दा पदार्थ चाहिए। 

Quote 20. जिस साहित्य से हमारी सुरुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हममें गति और शक्ति न पैदा हो, हमारा सौंदर्य प्रेम न जागृत हो, जो हममें संकल्प और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने की सच्ची दृढ़ता न उत्पन्न करे, वह हमारे लिए बेकार है। वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं है।

Premchand Quotes in Hindi

Quote 21. दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है।

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Quote 22. मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है। 

Quote 23. युवावस्था आवेशमय होती है, वह क्रोध से आग हो जाती है तो करुणा से पानी भी। 

Quote 24. अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है।

Quote 25. बल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद कोई नहीं सुनता। 

Quote 26. दुनिया में विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई भी विद्यालय आज तक नहीं खुला है।

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Quote 27. विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।

Quote 28. मनुष्य कितना ही हृदयहीन हो, उसके ह्रदय के किसी न किसी कोने में पराग की भांति रस छिपा रहता है। जिस तरह पत्थर में आग छिपी रहती है, उसी तरह मनुष्य के ह्रदय में भी चाहे वह कितना ही क्रूर क्यों न हो, उत्कृष्ट और कोमल भाव छिपे रहते हैं।  

Quote 29. मनुष्य का उद्धार पुत्र से नहीं, अपने कर्मों से होता है। यश और कीर्ति भी कर्मों से प्राप्त होती है। संतान वह सबसे कठिन परीक्षा है, जो ईश्वर ने मनुष्य को परखने के लिए दी है। बड़ी-बड़ी आत्माएं, जो सभी परीक्षाओं में सफल हो जाती हैं, यहाँ ठोकर खाकर गिर पड़ती हैं। 

Quote 30. हम जिनके लिए त्याग करते हैं, उनसे किसी बदले की आशा ना रखकर भी उनके मन पर शासन करना चाहते हैं। चाहे वह शासन उन्हीं के हित के लिए हो। त्याग की मात्रा जितनी ज्यादा होती है, यह शासन भावना उतनी ही प्रबल होती है। 

Premchand Quotes on Education in Hindi

Quote 31. खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है आगे बढ़ते रहने की लगन का।

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Quote 32. जिस प्रकार नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है। उसी प्रकार बुद्धिहीन के लिए विद्या बेकार है।

Quote 33. जीवन को सफल बनाने के लिए शिक्षा की जरुरत है, डिग्री की नहीं। हमारी डिग्री है हमारा सेवा भाव, हमारी नम्रता, हमारे जीवन की सरलता। अगर यह डिग्री नहीं मिली, अगर हमारी आत्मा जागृत नहीं हुई तो कागज की डिग्री व्यर्थ है। 

Quote 34. केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। 

Quote 35. नीतिज्ञ के लिए अपना लक्ष्य ही सब कुछ है। आत्मा का उसके सामने कुछ मूल्य नहीं। गौरव सम्पन्न प्राणियों के लिए चरित्र बल ही सर्वप्रधान है। 

Munshi Premchand Quotes

Quote 36. आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपने घर की याद आती है।

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Quote 37. मनुष्य बिगड़ता है या तो परिस्थितियों से अथवा पूर्व संस्कारों से परिस्थितियों से गिरने वाला मनुष्य उन परिस्थितियों का त्याग करने से ही बच सकता है। 

Quote 38. नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है।

Quote 39. नमस्‍कार करने वाला व्‍यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। 

Quote 40. जिस बंदे को पेट भर रोटी नहीं मिलती, उसके लिए मर्यादा और इज्‍जत ढोंग है।

Quote 41. चोर केवल दंड से ही नहीं बचना चाहता, वह अपमान से भी बचना चाहता है। वह दंड से उतना नहीं डरता जितना कि अपमान से। 

Quote 42. क्रोध अत्यंत कठोर होता है। वह देखना चाहता है कि मेरा एक-एक वाक्य निशाने पर बैठा है या नहीं। वह मौन को सहन नहीं कर सकता। ऐसा कोई घातक शस्त्र नहीं है जो उसकी शस्त्रशाला में न हो, पर मौन वह मन्त्र है जिसके आगे उसकी सारी शक्ति विफल हो जाती है।

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