श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम कामदा है। इस एकादशी की कथा के सुनने मात्र से ही बाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। कामदा एकादशी के व्रत में शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। जो मनुष्य इस एकादशी को धूप, दीप आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते है।
उन्हें गंगा स्नान के फल से भी बड़ा फल मिलता है। यही फल सूर्य, चन्द्र ग्रहण, केदार और कुरुक्षेत्र में स्नान करने से मिलता है। श्री विष्णु भगवान के पूजन का फल समुन्द्र और बन सहित पृथ्वी दान करने और सिंह राशि वालों को गोदावरी नदी में स्नान के फल से भी अधिक होता है। व्यतीपात में गण्डक नदी में स्नान करने से जो फल मिलता है।वह फल भगवान की पूजा करने से मिल जाता है।
भगवान की पूजा का फल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के फल के बराबर है। अतः भक्तिपूर्वक भगवान की पूजा न बन सके। तो श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की कामदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। आभूषण से युक्त बछड़ा सहित गौ दान करने से जो फल मिलता है, वह फल कामदा एकादशी के व्रत से मिल जाता है।
जो उत्तम द्विज श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की कामदा एकादशी का व्रत करते है। तथा श्री विष्णु भगवान की पूजा करते है। उसमे समस्त वेद, नाग, किन्नर पितृ आदि की पूजा हो जाती है। मनुष्यों को अध्यात्म विघा से जो फल मिलता है। उसका अधिक फल कामदा एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। इस व्रत के करने से मनुष्य अन्तिम समय अनेक दुखों से युक्त यमराज तथा नर्क के दर्शन नहीं करता।
कामिदा एकादशी के व्रत तथा रात्रि के जागरण से मनुष्य को कुयोनि नहीं मिलती और अन्त में स्वर्गलोक को जाता है। जो उत्तम मनुष्य श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की कामिदा एकादशी को तुलसी से भक्ति पूर्वक श्री विष्णु भगवान की पूजा करते है। वे इस संसार सागर में रहते हुए भी इससे इस प्रकार अलग रहते है। जिस प्रकार कमल जल में रहता हुआ भी जल से अलग रहता है।
भगवान की तुलसी दल से पूजा करने का फल एक बार स्वर्ण और चार बार चाँदी के दान के फल के बराबर है। श्री विष्णु भगवान रत्न, मोती, मणि, आभूषण आदि की अपेक्षा तुलसी दल से अधिक प्रसन्न होते है। जो मनुष्य भगवान की तुलसीदास से पूजा करते है। उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते है।
तुलसीजी के दर्शन मात्र से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते है और शरीर के स्पर्श मात्र से मनुष्य पवित्र हो जाता है। तुलसीजी को जल से स्नान कराने से मनुष्य की समस्त यमयातनाये नष्ट हो जाती है। जो मनुष्य तुलसी जी के भक्ति पूर्वक भगवान के चरण कमलों में अर्पित करता है उसे मुक्ति मिलती है।
जो मनुष्य एकादशी के दिन भगवान के सामने दीप जलाते है। उनके पितृ सवर्गलोक में सुधा का पान करते है। जो मनुष्य भगवान के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाते है। उनको सूर्य लोक में भी सहस्त्रों दीपकों का प्रकाश मिलता है। इस व्रत के करने से ब्रह्म हत्या, ब्राह्मण-हत्या आदि सभी के पाप नष्ट हो जाते है और इस लोक में सुख भोगकर अन्त में विष्णुलोक को जाते है।
इस कामिदा एकादशी के महात्मय के श्रावण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को जाते है।
FAQs About Ekadashi Vrat Katha
Q1. एकादशी में क्या खा सकते हैं?
एकादशी में फल-फ्रूट, मिठाई, दूध।
Q2. एकादशी व्रत में सब्जी काट सकते हैं क्या?
हाँ एकादशी व्रत में सब्जी काट सकते हैं।
Q3. एकादशी के दिन मृत्यु होने पर क्या स्वर्ग की प्राप्ति होती है?
हाँ एकादशी के दिन मृत्यु होने पर स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
Q4. एकादशी के दिन भूल से चावल खाने पर उपाय क्या करें?
एकादशी के दिन हमें चावल नहीं खाने चाहिए। इससे हमें बहुत पाप लगता है। तो इसलिए ध्यान रखे कि एकादशी के दिन आप चावल ना खाए।
Q5. एकादशी के दिन क्या छोटे बच्चे को भी चावल नहीं दे सकते बनाकर?
नहीं एकादशी के दिन हमे घर के किसी भी सदस्या को चावल नहीं देने चाहिए चाहे वो छोटा हो या बड़ा।
Q6. यदि एकादशी व्रत गलती से छूट जाए तो क्या करें?
अगर एकादशी का व्रत गलती से छूट जाए तो कुछ नहीं कर सकते।
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